मधेपुराः दुर्गा पुजा हो या सरस्वती पूजा, जैसे ही ये त्योहार नजदीक आने लगते हैं, वैसे ही मूर्तिकार मूर्तियां बनाने में जुट जाते हैं. मूर्तिकार अपनी कला का इस्तेमाल करके मिट्टी के गिलावे को एक से बढ़ के एक देवी-देवाताओं का रूप देते हैं. फिर मट्टी की इन मूर्तियों को रंग बिरंगे अंदाज में सजाकर पुजा के लिए तैयार करते हैं, लेकिन मूर्तियों में रंग भरने वाले मूर्तिकारों की जिंदिगी खुद बेरंग हो कर रह गई है.
इन दिनों मूर्तिकारों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. ऐसे मूर्तिकारों पर सरकार का भी कोई ध्यान नहीं है. जिससे ये लोग बेरोजगार होते जा रहे हैं. मूर्तिकारों के पास इतनी कला होती है कि जब चाहे किसी की भी मूर्ति बना देते हैं. लेकिन इनके बारे में सोचने वाला कोई नहीं है. सरस्वती पूजा जैसे ही नजदीक आने लगता है वैसे ही मूर्तिकार मूर्ति बनाने लगते हैं. मिट्टी गुथने के साथ साथ पूर्ण रूप से मूर्ति बनाना पड़ता है. एक मूर्ति बनाने में तीन से चार दिन लग जाता है.
1000 से 1200 रुपये बिकती है मूर्तियां