मधेपुरा: बिहार का देवघर कहे जाने बाबा भोला की नगरी सिंघेश्वर में शिव रात्रि के मौके पर प्रत्येक वर्ष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. वहीं दूसरी तरफ सहरसा के बनगांव में राजकीय होली महोत्सव करने का आदेश देते हुए सरकार ने 20 लाख रुपये आवंटित किया है. अब इस लेकर सवाल उठाया जा रहा है.
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विपक्ष ने जताया विरोध
सरकार के इस दो रंगी नीति को लेकर विपक्ष के साथ-साथ पक्ष के नेता भी विरोध जता रहे हैं. इस बात को लेकर मधेपुरा के राजद विधायक सह बिहार सरकार के पूर्व मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने आक्रोश व्यक्त किया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार के इस दो रंगी नीति के खिलाफ सड़क से सदन तक वाज बुलंद की जाएगी. उन्होंने कहा कि बिहार का देवघर कहे जाने वाला बाबा भोले की नगरी सिंघेश्वर में होने वाले महोत्सव को कोरोना के नाम पर रद्द कर दिया गया. वहीं सहरसा के बनगांव की होली के अवसर पर राज्य स्तरीय महोत्सव आयोजित करने का आदेश देना बेशर्मी का हद है.
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महोत्सव के आयोजन की मांग
इस दोहरे मापदंड के खिलाफ विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुत्सित मानसिकता को उजागर किया जाएगा. पूर्व मंत्री ने कहा कि बनगांव के साथ-साथ सिंघेश्वर में भी महोत्सव का आयोजन होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो समझा जाएगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार धर्म, धार्मिक स्थल और बाबा भोले के साथ भेदभाव करते हैं. उन्होंने कहा कि आजाद देश के एक राज्य में दो तरह का विधान, दो तरह का आदेश नहीं चल सकता है. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि स्थान देखकर नीतीश कुमार का सुशासन भेदभाव करता है.
जब सरकार ने आदेश जारी कर रखा है कि 31 मार्च तक कोई भी महोत्सव का आयोजन नहीं होगा. तो फिर किस परिस्थिति में सहरसा बनगांव की होली को महोत्सव का दर्जा देते हुए 20 लाख रुपये राशि आवंटित किया गया है. जबकि उस आदेश के आड़ में मधेपुरा में स्थित बिहार का देवघर कहे जाने वाला बाबा भोले की नगरी सिंघेश्वर धाम में होने वाले महोत्सव को रद्द कर दिया गया है.-प्रो. चंद्रशेखर, पूर्व मंत्री
बिहार सरकार को इस तरह के दो रंगी नीति नहीं अपनानी चाहिए. सहरसा के होली महोत्सव के साथ साथ सिंहेश्वर महोत्सव का भी आयोजन करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो कोसी के इलाके में सरकार और सरकारी नीति की किरकिरी हो जाएगी.-राहुल कुमार,बीजेपी कमेटी के सदस्य