मधेपुरा: कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशभर में लॉक डाउन लागू कर दिया गया है. इस लॉक डाउन से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. दिहाड़ी मजदूर और उनके परिवार का हाल बेहाल है. इनके लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने अपनी ओर से आवश्यक कदम जरूर उठाये हैं. लेकिन सरकारी योजनाओं की तरह ही कई गांवों में सरकार की दी जा रही सहायता नहीं पहुंच पा रही है. लिहाजा, गरीबों के घरों का चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है.
'आंसू बता रहे सरकारी सहायता राशि की हकीकत'
गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है, जो भूखे सोने पर मजबूर कर देती है. कोरोना महामारी ने गरीबों की इस मजबूरी को और बढ़ा दिया है. बात की जाये मधेपुरा की तो यहां सदर प्रखंड के तुनियाही गांव में कई घरों में पिछले पांच दिनों से चूल्हा नहीं जला है. यहां पर अधिकतर लोग रिक्शाचालक,ठेला चालक और गरीब मजदूर परिवार से आते हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब यहां के हालातों का जायजा लिया, तो सरकार के किये जा रहे दावों की जमीनी हकीकत सामने आ गयी.
'चार दिन से नहीं जला है चूल्हा'
लॉक डाउन से परेशान यहां के स्थानीय निवासी ठेला चालक मनोहर मंडल, महादेव मंडल और महिला शोभा देवी ने अपनी आप बीती सुनाते ही बरबस रोने लगती है. पीड़ितों का कहना है कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने लॉक डाउन की घोषणा की और घर के अंदर रहने की सलाह दी है. उस दिन से हर दिन घर में बंद है. लेकिन अब दाने दाने का लाले पड़ गए. पिछले चार दिन से खाना नहीं खाए है. पीड़ित महादेव मंडल ने बताया कि ' साहेब उम्र हो चली है, चार दिन से हमनी का चूल्हा नहीं जला है. हमनी लोगन के कौनों पूछे वाला नहीं है. कौनो लोगन और नेता ताक-झाक करने नही आवत हैं. घर में कुछ भी खाने को नाही हैं. नमक रोटी और पानी पीकर सो रहे हैं. अब पेट और परिवार चलावन के खातिर का करि. चोरी डकैती तो नाही कर सकत हैं. पेट की आग कैसे बुझावे कुछहूं समझ नाही आवत है.'
क्या कहते हैं प्रतिनिधि
ईटीवी भारत संवाददाता ने जब लोगों की समस्या को लेकर पंचायत प्रतिनिधि उमेश से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि गरीब और मजदूर परिवार के सदस्यों की सूची तैयार कर ली गई है. मामले की जानकारी जिला पदाधिकारी मधेपुरा को देकर सहायता राशि और राशन की मांग की जाएगी. ताकि कोई भी लोग भूखा नहीं रह सके.