मधेपुराःबिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने कार्यकाल के दौरान अनुसूचित जाति, जनजाति की छात्र-छात्राओं और सामान्य कोटे की गरीब छात्राओं को उच्चतर शिक्षा मुफ्त में देने की सौगात दी थी. लेकिन वर्तमान की सरकार में यह सौगात छात्राओं के लिए मात्र एक घोषणा बनकर रह गई है.
जीतन राम मांझी ने की थी घोषणा
दरअसल, बिहार सरकार बेटियों को निशुल्क शिक्षा देने की घोषणा कई साल पहले कर चुकी है. लेकिन इसे आज तक सरजमीं पर नहीं उतारा जा सका. बेटियां सिर्फ स्नातक की शिक्षा लेने के लिए हजारों रुपये खर्च कर रही हैं. घोषणा का लंबा समय बीत जाने के बाद अब अभिभावक भी कहने लगे हैं कि सरकार सिर्फ घोषणा करती है बाद में भूल जाती है.
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सरकारी उदासीनता की शिकार छात्राएं
आर्थिक रूप से अक्षम उच्च शिक्षा की चाह रखने वाली छात्राएं अब सरकारी उदासीनता की शिकार हो रही हैं. मुफ्त उच्च शिक्षा योजना की घोषणा होने के बाद गरीब तबके से आने वाली छात्राएं काफी उत्साहित थीं.. लेकिन वर्तमान में उनके उत्साह पर विद्यालय शुल्क के बोझ ने ग्रहण लगा दिया है.
प्राचार्य ने भी माना नहीं मिल रहा लाभ
हालांकि इस पूरे मामले पर टीपी कॉलेज मधेपुरा के प्राचार्य भी मानते हैं कि अब तक सरकार की इस योजना का कोई लाभ छात्राओं को नहीं मिला है. लेकिन हाल के दिनों में बीते तीन सत्रों में नामांकित छात्राओं की सूची और उनसे वसूली की गई राशि का विवरण विश्वविद्यालय ने मांगा है. ऐसी उम्मीद है की छात्राओं से ली गई राशि भविष्य में लौटा दी जाएगी.