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मधेपुरा: अमरूद खाकर जिंदा रहने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित, नहीं मिल रही किसी तरह की सरकारी मदद - अमरूद खाकर जिंदा रहने को मजबूर बाढ़ पीड़ित

मधेपुरा में बाढ़ पीड़ित लोगों का हाल-बेहाल है. उन्होंने किसी तरह की मदद नहीं की जा रही है. बाढ़ प्रभावित घोषित किए जाने के बावजूद लोग सहायता के लिए तरस रहे हैं.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

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Published : Aug 12, 2020, 5:13 PM IST

मधेपुरा(चौसा):जिले में बाढ़ के कारण लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. चौसा प्रखंड के बाढ़ पीड़ितों के सामने खाने-पीने का संकट आन पड़ा है. उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल रही है. चौसा में बाढ़ से घिरे पीड़ितों की मानें तो वे पेट की आग बुझाने के लिए अमरूद खाने को मजबूर हैं.

किसी तरह जिंदा रहने को मजबूर बाढ़ पीड़ित

बाढ़ की तबाही के एक महीने गुजर जाने के बाद भी अब तक सरकारी स्तर पर पीड़ितों के बीच राहत सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते 4 अगस्त को इन तीनों प्रभावित प्रखंडों को बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. लेकिन अधिकारियों ने अब तक यहां रह रहे लोगों की सुध नहीं ली.

लोगों ने बताई आपबीती

मचान पर रात गुजार रहे लोग
बाढ़ की पानी से घिरे मुर्सनदा गांव के बहियार में फंसे पीड़ित लोग बांस के मचान पर रात गुजरते नजर आ रहे हैं. ऐसी हालत में भूख लगने पर वे पेड़ से अमरूद तोड़कर किसी तरह दिन काट रहे हैं. बता दें कि कुछ दिन पहले इस बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने मधेपुरा के सांसद दिनेशचंद्र यादव, पूर्व आपदा मंत्री सह मधेपुरा विधानसभा के राजद विधायक प्रो. चंद्रशेखर सहित कई पार्टी के नेता भी गए थे. सभी ने मदद का आश्वासन भी दिया लेकिन कोई पहल नहीं की. नतीजन लोगों का हाल बेहाल है.

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