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कुसहा त्रासदी के 12 साल बाद भी नहीं बदले हालत, अभी भी अधर में है पुल निर्माण

जिले में एनएच-106 पर पुल बनाने का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है. 2008 की कुसहा त्रासदी में ये पुल पूर तरह से टूट गया था.

madhepura
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Published : Jun 19, 2020, 6:09 PM IST

मधेपुरा: साल 2008 की कुसहा त्रासदी को भला कौन भुला सकता है. इस तबाही में एनएच-106 पर बना पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था. जान-माल को काफी क्षति पहुंची थी. लेकिन कुसहा त्रासदी के 12 साल बीत जाने के बाद भी अब तक एनएच-106 पर पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. जब भी बरसात का मौसम आता है तो दिखावे के लिए पूल निर्माण स्थल पर एक दो मशीन लगा दिया जाता है और फिर जब नदी में पानी आ जाता है तो निर्माण कार्य रोक दिया जाता है. यह सिलसिला पिछले 12 साल से चलता आ रहा है.

दरअसल, 2008 की कुसहा त्रासदी में मधेपुरा जिला मुख्यालय के समाहरणालय गेट से थोड़ी ही दूरी पर कृषि विज्ञान केंद्र के पास एनएच-106 पर बना पुल ध्वस्त हो गया था. इसके बाद जिला प्रसाशन की तरफ से आनन-फानन में आवागमन के लिए डायवर्सन का निर्माण किया था, जिस पर आज भी मधेपुरा के लोगों की सांसें टिकी हुई हैं. लेकिन, आज तक सरकार की लापरवाही के कारण एक पूल का निर्माण नहीं कराया जा सका है. इस कारण खासकर बरसात के मौसम में लोगों को ये भय सताने लगता है कि दोबारा कहीं ये डायवर्सन बह न जाए और एक बार फिर से तबाही का मंजर सामने न आ जाए.

आईएल एंड एफएस कंपनी को मिला है पुल निर्माण का काम

अब तक शुरू नहीं हुआ निर्माण कार्य
हालांकि सरकार की तरफ से बिहपुर से वीरपुर भाया मधेपुरा एनएच-106 निर्माण का ठेका एक दशक पहले ही आईएल एंड एफएस कंपनी को दिया गया है. लेकिन कंपनी की तरफ से एनएच का निर्माण तो दूर अब तक पूल का निर्माण भी नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण में लगी कंपनी बरसात के मौसम में दिखावे के लिए हर साल एक मशीन निर्माण स्थल पर लगाकर कार्य तो शुरू जरूर करती है, लेकिन पानी आ जाने के बाद काम बंद हो जाता है. इसके बाद फिर से दोबारा पूल निर्माण का कार्य कंपनी की तरफ से शुरू नहीं किया जाता है. इसे लेकर लोगों में आक्रोश व्याप्त है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या है कुसहा त्रासदी
18 अगस्त 2008 की कुसहा त्रासदी किसी के लिए भी भूलना आसान नहीं है. इसी दिन कुसहा महा जल प्रलय ने तबाही मचायी थी. इस दिन कोसी नदी ने अचानक अपना रास्ता बदल लिया था और पानी लोगों की बस्ती में प्रवेश कर गयी थी. आलम ये था कि कोसी बेकाबू होकर जिधर से गुजरी उधर बालू ही बालू नजर आने लगा था.

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