मधेपुरा: जिले का चौसा और आलमनगर प्रखंड के एक दर्जन पंचायत बाढ़ की चपेट में है. सभी पंचायत पिछले 17 दिनों से जलमग्न है. लोगों के घरो में सात से आठ फुट पानी भरा हुआ है. बाढ़ के पानी से बचने के लिए ग्रामीण ऊंचे जगहों पर शरण ले रखे हैं. ग्रामीण अपने घरो को छोड़ पशुओं के साथ सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए मजबूर हैं. ग्रामीणों के सामने खाने पीने की समस्या उत्पन्न हो गई है. लेकिन अब तक जन प्रतिनिधि और स्थानीय अधिकारियों ने सुध नहीं ली है.
बाढ़ की विभीषिका झेल रहे ग्रामीणों का फसल पानी में पूरी तरह बर्बाद हो गया है. बाढ़ के विकराल रुप को देखकर बाढ़ प्रभावितों की नींद उड़ी हुई है. लेकिन आज तक कोई भी सरकारी अधिकारी बाढ़ पीड़ितों की सुध तक नहीं लेने आए हैं. वहीं, प्रभावित लोगों को बाढ़ से सुरक्षित निकलने के लिए सरकारी नाव की व्यवस्था भी नहीं की गई है. आपदा मेंं दाने-दाने को मुहंताज बाढ़ पीड़ितों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है.
बाढ़ के पानी से मचा तबाही कांग्रेस नेता ने लिया जायजा
वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सह एआईसीसी सदस्य केसर सिंह ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का नाव से जायजा लिया. कांग्रेस नेता ने बाढ़ पीड़ितों से मिलकर समस्याओं के बारे में जानकारी ली. वहीं, केंद्रीय पार्टी कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को बाढ़ पीड़ितों की वस्तु स्थिति से अवगत कराया. कांग्रेस नेता केसर सिंह ने कहा कि पिछले 17 दिन से एक दर्जन पंचायत बाढ़ के पानी से घिरा है. भूखे-प्यासे लोग अपने बच्चों के साथ रहे हैं. लेकिन अब तक प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सका है.
सरकार से अविलंब मदद की गुहार
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र नारायण यादव को जनता पिछले 25 साल से लगातार विधान सभा भेज रही है. फिर भी इन बाढ़ पीड़ितों को पानी में डूबने के लिए यूं ही छोड़ दिया गया है. केसर सिंह का कहना है कि जब देश व राज्य में कांग्रेस की सरकार थी तब बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे बारिश से पहले की जाती थी. बाढ़ के समय प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी नाव से राहत सामग्री पहुंचाया जाता था. लेकिन आज नीतीश सरकार में 17 दिन बाद भी कोई देखने वाला नहीं है. उन्होंने सरकार से अविलम्ब सरकारी नाव और राहत सामग्री पीड़ितों के बीच भेजने की मांग की है.
बाढ़ के पानी के बीच रह रही बुजुर्ग महिला