बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Mahashivratri: लखीसराय इंद्रदमनेश्वर मंदिर में शिवरात्रि की तैयारी, लगेगी लाखों श्रदालुओं की भीड़ - Mahashivratri 2023

लखीसराय में शिवरात्रि पूजा को लेकर काफी तैयारियां की जा रही है. इस अवसर पर कई श्रद्धालुओं की यहां इंद्रदमनेश्वर मंदिर में भीड़ लगेगी. इसके लिए मंदिर और जिला प्रशासन की ओर से काफी तैयारियां की जा रही है. मंदिर के मुख्य पुजारी, मैनेजर समेत जिला प्रशासन के कप्तान भी सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखेंगे. मंदिर प्रशासन की ओर से कहा जाता है कि यहां पर नजदीक के तीन राज्यों से कई श्रद्धालुओं की भीड़ यहां जमा होती है. इसके साथ ही पूजा पाठ में ध्यान लगाते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Feb 17, 2023, 7:41 AM IST

Updated : Feb 17, 2023, 8:52 AM IST

लखीसराय:बिहार केलखीसराय इंद्रदमनेश्वर मंदिर में शिवरात्रि की तैयारी जोरों पर है. मंदिर के पुजारियों के द्वारा जानकारी मिली है कि इस पर्व पर कई लोग यहां पूजा पाठ करने के लिए आते हैं. मुख्यालय से सात किलोमीटर और रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर दूरी पर एक अशोक धाम मंदिर है. जिसे अब कई लोग देवघर के छोटे देवघर मंदिर के नाम से भी जानते हैं. वहीं इस मंदिर का नया नाम इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर कर दिया गया.

ये भी पढ़ें-पटना में शुरू हो गई शिवरात्रि की तैयारी, निकाली जाएंगी 21 झांकियां

मंदिर की उत्पत्ति:मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा अशोक ने ही मंदिर का नींव डाला था. साथ ही शिव मंदिर के लिए शिवलिंग को भी जमीन से निकाला था. बताया कि सन् 7 अप्रैल 1977 में हमलोग जब गुल्ली डंडा खेल रहे थे. उसी समय हमलोग को शिवलिंग मिला था. तब हमलोग सारे बच्चों ने शिवलिंग को निकाला और फिर पूजा अर्चना किया. उसी शिवलिंग से आज मंदिर के निर्माण हुआ और दूर दराज से लोग मन्नतें मांगने आते हैं. इस साल शिवरात्रि के दिन काफी संख्या में लोगों की भीड़ रहेगी. वहीं मंदिर में मौजूद कुछ श्रद्धालुओं से बातचीत की गई. इसपर उनलोगों ने कहा कि यह मंदिर पूरे बिहार के लिए धरोहर है.


कई श्रद्धालुओं की आस्था: शिवरात्रि के पहले मंदिर पहुंचे श्रद्धालु के पी गुप्ता ने बताया कि पालवंश राजा के समय साक्ष्य राजा इंद्रदमेनश्वर का मंदिर था. जो कई दिनों पहले लुप्त हो गया था. उसके बाद खेल खेल में फिर से इसको जागृत किया गया. आज के समय में पूरे बिहार की धरोहर है. इस मंदिर को हमलोग प्रणाम करते है. मंदिर के मैनेजर अनिल कुमार ने बताया कि भगवान शिव का दिन शिवरात्रि के लिए मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन की तरफ से विधि व्यवस्था को सफल बनाने का प्रयास जारी है. ताकि किसी प्रकार का विधि व्यवस्था में व्यवधान न होने पाए. शिवरात्रि को लेकर मंदिर परिसर में साफ-सफाई, रंगरोगन किया जा रहा है.

श्रद्धालु कुश्वेश्वरस्थान निवासी सतीश कुमार खेतान ने बताया कि अशोक धाम मंदिर का नाम काफी सुने थे. जिसके बाद दर्शन करने से ही पहुंचे. उसके बाद धन्य हो गए हैं. जितना इस मंदिर के बारे में सुनने को मिला था. उससे ज्यादा लोगों से देखने को मिला. श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी भक्त अपनी मन्नतें मांगते हैं. उन सभी लोगों की मन्नतें पुरी होती है. हमलोग देवघर से पूजा-अर्चना कर यहां वापस पहुंचे हैं. मधुबनी निवासी श्रद्धालु ने बताया कि बाबा वासुकीनाथ और तारापीठ का दर्शन करने के एक सप्ताह के बाद परिवार के साथ यहां आएं हैं. जहां काफी पूजा-अर्चना किया जाता है.

कैसे हुआ मंदिर का निर्माण: इस मंदिर का इतिहास राजा पालवंश और मुगल सामराज्य के कई गथियों से भी जुड़ा है. इस मंदिर का निर्माण सन 7 अप्रैल 1977 में चैकी ग्राम निवासी अशोक यादव ने किया था. जब वह व्यक्ति अपने साथियों के साथ सतघरवा खेल के दौरान एक बील की मिट्टी के अंदर गुल्ली चले जाने के कारण उसकी खुदाई के दरम्यान भगवान शिव का अद्भूत मुर्तियां आकार शिवलिंग मिली थी. जिसके बाद ही हर घर में इसकी चर्चा दूर तक होने लगी. उसके पूजा पाठ के बाद हजारों की संख्या में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी. कुछ दिनों के पश्चात पर एक फुंस की झोपड़ी में मंदिर का निर्माण कराया गया.

अशोक धाम के नाम से प्रचलित: वहीं आज कई साल बीत जाने के बाद इस मंदिर का नाम अशोक धाम रख दिया गया. उसके बाद धीरे धीरे वैज्ञानिक अनुसंधान किए जाने के बाद शिवलिंग की जानकारी मिली कि राजा पालवंश की नगरी मुगल साम्राज्य में होता था. जहां उस समय कई महारानियों का निवास होता था. वहां आज भी कईमुर्तियों को लाल पहाड़ी और काली पहाड़ी में रखी है. यही नहीं पटना के संग्रहालय में भी रखा गया है. इसी शिवलिंग की पूजा उस समय की रानियां करती थी. इसलिए इस मंदिर का नामकरण श्री इंद्रदेश्रर मंदिर रखा गया है.

95 डिसमिल दान में मिली जमीन: मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर चैकी ग्राम निवासी स्व. नुनूलाल सिंह के द्वारा 95 डिसमिल जमीन दान में दी गई थी. उसके बाद 1993 में मंदिर के जीर्णोधार के लिए नींव डाली गई. उस समय से आजतक मंदिर के अंदर कई मुर्तियां स्थापित कर दी गई. इस तरीके से मंदिर का निर्माण किया गया है. जहां आज पूरे बिहार , कलकता और दिल्ली सहित दुर-दराज से लोग आते हैं. यहां पहुंचकर सारे लोग दर्शन मात्र से ही विभोर हो जाते है.

"सन् 7 अप्रैल 1977 में हमलोग जब गुल्ली डंडा खेल रहे थे. उसी समय हमलोग को शिवलिंग मिला था. तब हमलोग सारे बच्चों ने शिवलिंग को निकाला और फिर पूजा अर्चना किया. उसी शिवलिंग से आज मंदिर के निर्माण हुआ और दूर दराज से लोग मन्नतें मांगने आते हैं. इस साल शिवरात्रि के दिन काफी संख्या में लोगों की भीड़ रहेगी".- पंडित अशोक, मंदिर

"शिवरात्रि के अवसर पर डेढ़ दर्जन स्थान चिन्हित किया गया है. हर लोकेशन पर पुलिसकर्मियों की व्यवस्था की गई है. कई थाना अध्यक्ष को भी लगाया गया है. मंदिर के प्रांगण और ईदगिर्द में लगे सीसीटीवी कैमरा भी निगरानी रखी जाएगी. शिवरात्रि के दिन मंदिर के प्रांगण से निकलने वाली शिव की बाराती को लेकर मंदिर से विधापीठ और विधापीठ से जमूई मोर होते हुए वायपास होकर अशोक धाम पहॅुचेगी इसके लिए पुलिस बल की भारी मात्रा में व्यवस्था कि गई है".-पंकज कुमार, एसपी लखीसराय

Last Updated : Feb 17, 2023, 8:52 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details