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लखीसराय में विकास का मुद्दा रहा हावी, मतदाताओं ने नए चेहरे को दिया मौका ! - लखीसराय में वोटिंग

दूसरे चरण में लखीसराय में मतदान खत्म हो गया है. अब इलाके में चर्चा तेज है कि इस बार किसकी जीत होगी. जानकारों का मानना है कि इस बार वोटरों ने नए चेहरे को मौका दिया है.

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विकास का मुद्दा

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Published : Nov 4, 2020, 4:37 PM IST

लखीसराय:बिहार के अन्य हिस्सों की ही तरह मुंगेर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा लखीसराय जिले की दोनों विधानसभा क्षेत्रों में जातीय आधार पर विकास का मुद्दा हावी रहा. शायद इसका असर अन्य चार विधानसभा क्षेत्रों पर भी पड़ा. मतदाताओं ने जातिवाद को पूरी तरह से नकार दिया.

पुल निर्माण की मांग
लोगों ने विकास की पटरी पर लौट रहे बिहार से ऐसे प्रत्याशियों के पक्ष में बढ़-चढ़ कर मतदान किया, जो बिहार को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दे रहे हैं. लखीसराय शहर की मुख्य सड़क को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए बाइपास सड़क के निर्माण और दियारा क्षेत्र में आवागमन की सुविधा के लिए हरूहर नदी पर पुल निर्माण की मांग पिछले कई दशकों से थी.

योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू
किसी जनप्रतिनिधि या सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. 14वीं लोकसभा के प्रतिनिधि चुने जाते ही ललन सिंह ने ना सिर्फ जनता के इन मुद्दों को गंभीरता से ही लिया. अपितु इन योजनाओं का क्रियान्वयन भी शुरू करा दिया. वे योजनाएं अब पूर्णता की ओर है. मुंगेर संसदीय क्षेत्र के छरू विधानसभा क्षेत्रों में से केवल लखीसराय ही पुराना क्षेत्र है.

मतदाताओं पर पड़ा असर
पूर्व में इस क्षेत्र में रहा पिपरिया प्रखंड अब सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. जहां के दियाराई क्षेत्र में पुल का निर्माण कराया गया है. लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्यों का सीधा असर सूर्यगढ़ा में मतदाताओं पर पड़ा.

जाति का मुद्दा गौण
उन्हें महसूस हुआ कि ललन सिंह के पक्ष में किया गया मतदान उनके विकास में उसी प्रकार सहायक होगा. जैसा लखीसराय में हुआ है. शायद विकास का यही मुद्दा अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी प्रभावी रहा और जाति का मुद्दा गौण हो गया. इसके अलावा चुनावी शंखनाद होते ही ललन सिंह ने अपना जनसम्पर्क अभियान शुरू कर दिया.

जातीय समीकरण में बदलाव
विकास के मुद्दे पर हुए इस चुनाव में जनता ने सुशासन का साथ दिया. एमवाई समीकरण में आई दरार भी सीटिंग सांसदों की हार का कारण बना. यही कारण रहा है कि इस बार बिहार विधानसभा में बिहार की राजनीतिक इशारे और जातीय समीकरण पर ही वोट लोगों ने दोनों विधानसभा में दिया है. जिसका नतीजा है यहां पर राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से नाराज जातीय समीकरण में बदलाव आया.

नये चेहरे को मौका!
इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों ने इस बार वर्तमान सरकार को नकारते हुये अपना मत विधानसभा में दिखा दिया. इलाके में चर्चा है कि इस बार सूर्यगढ़ा विधानसभा से लोजपा से अशोक सिंह और राजद के प्रहलाद यादव को ही जीत का सेहरा मिलेगा.

लखीसराय में भाजपा से विजय कुमार सिंह और कांग्रेस से अमरेस कुमार अनिश के बीच ही जीत का सेहरा पहनने की उम्मीद जतायी जा रही है. जबकि जनता ने नये चेहरे की ही पहचान कर अपना मत दिया है. अब देखना यह होगा कि आने वाले दस तारीख को किसके सिर पर जीत का सेहरा सजता है.

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