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बालू की 4 गुना कीमत चुका रहे लोग, लखीसराय के क्यूल नदी घाट पर लगी रोक हटाने की मांग - etv bihar hindi news

बिहार के लखीसराय में लोग बालू की बढ़ी कीमतों से परेशान हैं. क्यूल नदी से बालू उठाव पर रोक है. 2 साल पहले बालू उठाव के लिए टेंडर आना था, जो आजतक नहीं आया है. सरकार की ओर से कहा गया था कि लोगों को बालू की परेशानी नहीं होगी लेकिन लखीसराय में आज भी लोग बालू की किल्लत झेल रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर

Illegal Sand Mining In Lakhisarai
Illegal Sand Mining In Lakhisarai

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Published : Oct 15, 2021, 2:20 PM IST

लखीसराय:जिले में इन दिनों बालू संकट गहराया हुआ है. क्यूल नदी से बालू उठाव नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है. लेकिन चोरी छिपे रात को बालू का अवैध खनन (Illegal Sand Mining In Lakhisarai) क्यूल नदी (Kiul River Sand Ghat In Lakhisarai) से किया जा रहा है. जिसके कारण बालू की कीमत आसमान छू रही है.

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बालू उठाव को लेकर सन 1993 में नरसंहार तक हुआ था. क्यूल नदी से बालू उठाव को लेकर हुए नरसंहार में वर्तमान राजद विधायक प्रहलाद यादव का नाम सामने आया था. जहां पर कुल 6 लोगों की हत्या हुई थी. जिसके बाद से ही बड़े पैमाने पर बालू का उठाव क्यूल नदी से होता आ रहा है.

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"हमें बालू के लिए ज्यादा मूल्य चुकाना पड़ रहा है. एक गाड़ी के लिए तो 8 हजार से 10 हजार तक देना पड़ा रहा है. पहले तो 2 से 3 हजार में मिल जाता था. सरकार की उदासीनता और बालू माफियाओं के कारण जिले में ऐसे हालात बने हुए है."- स्थानीय

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तब से आज तक बालू का खेल यहां जारी है. क्यूल नदी से बालू उठाव का सिलसिला चलता रहा. इसमें कई सफेदपोशों की मिली भगत की बात भी सामने आ चुकी है. प्रशासन के नाक के नीचे पीले सोने का काला खेल कई सालों से चल रहा है. लेकिन इसपर कार्रवाई के नाम पर आजतक कुछ नहीं किया गया है. जिले के खनन विभाग में बालू उठाव को लेकर कई मामले दर्ज हैं.

बालू बहुत महंगा मिल रहा है. पहले और अब की कीमत में जमीन आसमान का अंतर है. माफियाओं के कारण बालू काफी महंगा मिल रहा है. सरकार भी लापरवाह बनी हुई है.-स्थानीय

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बालू के विवाद में कई बार लोग अपनी हदों को भी पार कर चुके हैं. पुलिस और बालू माफियाओं के बीच हिंसक और वाद विवाद के मामले भी सामने आए हैं. लखीसराय जिले से लेकर पटना, सिमुलतला, लखीसराय, सिकंदरा और जमुई से नवादा तक बड़े-बड़े व्यापारी, बड़े नेता, बड़े अफसर बालू का उठाव कर बेचने में शामिल हैं.

1992 में जिस बालू की कीमत 1500 सौ पर टेलर ट्रैक्टर और ट्रक की कीमत 5 हजार थी. आज उसी की कीमत 8 हजार से 10 हजार तक पहुंच गई है. बालू माफियाओं के कारण जिले में पीले सोने की कीमत इस हद तक बढ़ी हुई है. इसका असर मध्यम वर्ग के लोगों पर ज्यादा पड़ रहा है. लोग चिंतित और परेशान हैं. लेकिन सरकार के द्वारा पिछले कोविड-19 से पहले यानी 2 साल पूर्व इसका टेंडर बंद कर दिया गया और आज तक बंद पड़ा है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा 3 अक्टूबर को कैबिनेट में बालू उठाव पर चर्चा परिचर्चा किया गया था. जल्द ही बालू उठाव को लेकर टेंडर की प्रक्रिया शुरू होनी थी लेकिन अब तक नहीं हो सका है. ज्ञात हो कि नोनगढ़, तेतरहाट, बनू बगीचा, लाखोंचक सहित अन्य नदियों के किनारे से बालू माफियाओं द्वारा रात के अंधेरे में अब भी बालू का उठाव होता है. बालू माफिया मन माफिक कीमत में बालू बेच रहे हैं. ऐसे में भवन निर्माण या अन्य निर्माण कार्यों पर विराम लग गया है.

इस संबंध में स्थानीय लोगों ने बताया कि बालू की कीमत 1500 सौ से बढ़कर 4 गुना से भी अधिक हो गई है. आज की तारीख में 8 से 10 हजार प्रति ट्रैक्टर बालू की कीमत हो गई है. घर बनाना तो दूर सोचना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार आम पब्लिक के बारे में नहीं सोचती जबकि शहर से सटे क्यूल नदी में बालू का उठाव चोरी छुपे होता है.

जब ईटीवी भारत बिहार की टीम ने आलाधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक बालू उठाव के मामले में कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि जब तक बिहार सरकार के द्वारा कोई आदेश या पत्र नहीं आ जाता तब तक कुछ भी कह पाना मुश्किल है. इन लोगों का कहना है कि जल्द ही बालू उठाव को लेकर टेंडर होना है. अगर ऐसा होता है तो बालू की बढ़ी कीमतों में कमी आएगी.

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