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श्रृंगी ऋषि धाम: जहां भगवान राम समेत चारों भाइयों का हुआ था मुंडन संस्कार

ये है बिहार के लखीसराय जिले का श्रृंगी ऋषि धाम. मान्यता के अनुसार (shringi rishi dham in lakhisarai) यहीं पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने यज्ञ किया था और भगवान राम सहित चारों पुत्र लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत के अवतरित होने के बाद उनका मुंडन संस्कार भी यहीं कराया था.

लखीसराय सिंगरी ऋषि धाम मेला
लखीसराय सिंगरी ऋषि धाम मेला

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Published : Nov 17, 2021, 7:59 AM IST

Updated : Nov 17, 2021, 9:09 AM IST

लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले के श्रृंगी ऋषि धाम (shringi rishi dham in lakhisarai) से जुड़ी ऐतिहासिक कहानियां भी लोगों को यहां आने को मजबूर करती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक ये माना जाता है कि यहीं पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने यज्ञ किया था और भगवान राम सहित चारों पुत्र के अवतरित होने के बाद राजा दशरथ ने अपने चारों पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मुंडन यहीं कराया था. श्रृंगी ऋषि की पहाड़ियां, झरने और कुंड आकर्षण का केंद्र है.

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जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर घने जंगल में श्रृंगी ऋषि धाम में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद यहां मुंडन कराने आते हैं. जिससे यहां मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है. यहां पहुंचे श्रद्धालु कन्हैया कुमार ने बताया कि अपने पुत्र की प्राप्ति को लेकर यहां मन्नत मांगी थी. मनोकामना पूरी होने के बाद ही यहां पर मुंडन कार्यक्रम का आयोजन किया था. श्रद्धालु रीता देवी ने भी बताया कि अपने पुत्र की प्राप्ति को लेकर बड़े ही धूमधाम से श्रृंगी ऋषि धाम में पूजा अर्चना कर बच्चों का मुंडन कराया है.

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'पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहीं पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने यज्ञ किया था और भगवान राम सहित चारों पुत्र के अवतरित होने के बाद राजा दशरथ ने अपने चारों पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मुंडन कराया था. यहां जो भी लोग अपनी मन्नत मांगने आते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. श्रद्धालुओं की यहां विशेष आस्था है, इसके बावजूद यहां प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की जाती है.':- पुजारी, श्रृंगी ऋषि धाम

मान्यता है कि राजा दशरथ को पुत्र नहीं होने पर उन्होंने गुरु वशिष्ठ से सुझाव मांगा. तब गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को भिक्षुक के वेश में ऋषि विभांडक के पुत्र ऋषि श्रृंग के पास जाने की सलाह दी. वहां अपनी परेशानी बताने पर ऋषि श्रृंग ने तपस्या की थी. तपस्या के उपरांत अग्निदेवता खीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए और उसी खीर को राजा की तीनों रानियों को खिलाया.

राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के अवतरित होने के बाद गुरु वशिष्ठ ने सबों का नामाकरण किया, लेकिन मुंडन कार्य इसी श्रृंगी ऋषि धाम में हुआ था. यही नहीं ये मुगल साम्राज्य के राजाओं का भी मुंडन स्थल माना जाता है. यही वजह है कि यहां छठ पूजा के बाद अपने पुत्र के मुंडन को लेकर लोगों की अपार भीड़ देखी जाती है.

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Last Updated : Nov 17, 2021, 9:09 AM IST

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