लखीसराय:बिहार के लखीसराय जिले की स्थापना 3 जुलाई 1994 में हुई थी, लेकिन लखीसराय का दुर्भाग्य है कि अबतक जिले में मौजूदा हालत नहीं बदले हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक 2011 की जनगणना के मुताबिक लखीसराय की कुल आबादी 10,00,912 है, लेकिन अब चुनावी आंकड़ों के मुताबिक जनसंख्या कुल मिलाकर देखी जाए तो 14 लाख से अधिक है. इसके बाद भी लखीसराय में बायपास सड़क निर्माण को छोड़कर अन्य आसपास के जिलों को छोड़कर यहां का विकास काफी पीछे है.
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लाल पहाड़ी से मिल चुकी कई प्राचीन मूर्तियां: लखीसराय को दाल का कटोरा और दियारा में सब्जी का गढ़ माना जाता है. लखीसराय में सिंदुर का उत्पाद तक बड़े पैमाने पर किया जाता है जो कि दूरदराज तक प्रसिद्ध है. इसके बाद भी लखीसराय का विकास कम हुआ है. लखीसराय में राजा पालवंश की नगरी की कई प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं. इसका सीधा कनेक्शन मुगल साम्राज्य शासनकाल से जुड़ा है, जिसमें कई पहाड़ी क्षेत्रों में देखने को मिली है. इसी का एक हिस्सा लाल पहाड़ी है, जहां पत्थरों की मूर्तियों के अवशेष और कई प्रकार की मूर्तियां मिल चुकी हैं जो कि काफी बेशकीमती हैं. सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया था.
CM नीतीश भी कर चुके अवलोकन: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर लखीसराय में लाल पहाड़ी की खुदाई (Excavation of Lal Pahari in Lakhisarai) की गई थी, जिसमें करोड़ों का खर्च हुआ था. बाहरी वैज्ञानिकों ने भी लाल पहाड़ी का अवलोकन कर इसमें गहरा इतिहास छिपे रहने की बात कही थी. अधिकतम खुदाई के बाद बौद्धधर्म और ऐतिहासिक पाल वंश की कई मूर्तियां और अवशेष मिले थे. जिसे देखने के लिए लखीसराय की लाल पहाड़ी पर मुख्यमंत्री पहुंचे थे और अद्भुत मूर्तियों को परखा और उनके अवशेषों को जानने की कोशिश की थी.
करोड़ों खर्च के बाद खुदाई पर लगा ब्रेक: खुदाई के बाद लखीसराय को एक नया स्थान और पर्यटन स्थल (Tourist Destination in Lakhisarai) से भी लोग जानते पर इसकी खुदाई को विराम लग गया और आज की स्थिति ऐसी है कि खुदाई की गई जगह समतल और घने जंगल जैसी हो गई है, जिसे देखने पर जंगल ही कहा जा सकता है. बिहार सरकार ने करोड़ों रूपए इसकी खुदाई के लिए लगाए थे, लेकिन खुदाई पर विराम लगने से लखीसराय के लोग इसे भूलने पर मजबूर हैं.