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बिहार: लाली पहाड़ी की खुदाई में मिला बुद्ध कालीन लकड़ी का वोटिव टेबलेट, अमेरिका में होगी जांच

लखीसराय के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो रहे हैं बुद्ध कालीन अवशेष. वहीं, भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अंकित वोटिव टेबलेट मिलना, एक बड़ी खोज माना जा रहा है.

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Published : May 5, 2019, 8:15 PM IST

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लखीसराय: जिले के ऐतिहासिक लाली पहाड़ी की खुदाई में बौद्ध कालीन अविस्मरणीय तथ्यों का खुलासा हो गया है. मिल रहे अवशेष लाली पहाड़ी को मध्यकालीन इतिहास से जोड़ रहे हैं. मध्य कालीन इतिहास में पहली बार लाली पहाड़ी पर भगवान बुद्ध का लकड़ी से बना वोटिव टेबलेट मिलने को अद्भुत खोज बताया जा रहा है. लकड़ी से बने 12 सेंटीमीटर के वोटिव टेबलेट पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्पष्ट उभरी हुई है. खुदाई लगातार जारी है.

मुख्य बिंदू

ऐतिहासिक लाली पहाड़ी की खुदाई में मिला भगवान बुद्ध का लकड़ी का वोटिव टेबलेट.

अमेरिका में होगी इसकी जांच डेढ़ वर्षों से चल रही है लाली पहाड़ी की खुदाई.

बौद्ध स्थलों की खुदाई में पहली बार लकड़ी का वोटिव टेबलेट.

लखीसराय शहरी क्षेत्र के अन्तर्गत ऐतिहासिक जयनगर लाली पहाड़ी पर तकरीबन डेढ़ वर्षों से खुदाई चल रही है. बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐतिहासिक लाली पहाड़ी पर दो बार आ चुके हैं. इसके कारण ही संग्रहालय निर्माण कार्य प्रशस्त हुआ है. लखीसराय जिले को सात धरोहरों को राजकीय धरोहर की भी मान्यता मिली है. जिले में वर्षों से जहां-तहां बिखरे प्राचीन मूर्तियों को सहेजने और संग्रहित कर रखने की भी पहल शुरू की जा चुकी है. लाली पहाड़ी जिले के ऐतिहासिक महत्व को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाया जाएगा. ये जिले के विकास के लिए भी मील के पत्थर साबित हो रहा है.

इतिहासकारों का जमावड़ा
मिले वोटिव टेबलेट देखने के लिए बिहार राज्य के आलावा अन्य राज्यों के इतिहासकारों यहां पहुंचने लगे हैं. पटना से आए पुरातात्विक विभाग के लोगों ने इसे बौद्ध सर्किट से जोडने की वकालत की है. खुदाई करा रहे विश्व भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल कुमार ने बताया कि विश्व में साधना स्थलों में पहली बार लकड़ी का वोटिल मिला है. यह एक अद्भुत खोज है. इतिहासकार के अनुसार ऐसे वोटिव टेबलेट साधना स्थल में आने वाले लोगों को भेंट में दी जाते थे. खुदाई में पूर्व में भी मिट्टी और पत्थर के वोटिव सील मिले हैं. लकड़ी का वोटिव टेबलेट पहली बार मिला है.

जानकारी देते इतिहासकार

अमेरिका में होगी जांच
इतिहासकार ने बताया कि इसे जांच के लिए आमेरिका के ऐरिजोना भेजा जाएगा. लगातार बौद्ध कालिन अवशेषों का मिलना लाली पहाड़ी के बौद्ध काल से जुड़े रहने तथ्यों को सुदृढ कर रहा है. यह लाली पहाड़ी कभी बौद्ध साधना केंद्र के रूप में काफी संपन्न रहा था. पहाड़ी के ऊपर खुदाई में मिल रहे साधना स्थल का भग्नावशेष एवं अवशेष इसे प्रमाणित कर रहा है. लकड़ी का वोटिव टेबलेट इसे और भी पुख्ता रूप से प्रमाणित करता है. यह वोटिव अवशेष इतना पुराना है कि हल्के से दबाव में टूट सकता है. उसे काफी सहेज कर रखा गया है.

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