किशनगंज: जिले के ठाकुरगंज विधानसभा से लगातार दो बार के विधायक और बिहार सरकार के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नौशाद आलम तीसरी बार अपनी हेट्रिक जीत पर पूरी करने के कोशिश मे सियासत जंग मे उतर चुके है. विधायक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि विगत कार्यकाल मे हमने क्षेत्र का विकास और जनता की खिदमत कि है और आगे भी जनता हमें सेवा करने की मौका देगी. इसी उम्मीद मे फिर से चुनावी मैदान मे आने का फैसला लिया है. खास बातचीत के दौरान बताया विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी चुनावी तैयारी पूरी हो चुकी है और चुनावी रणभूमि में फिर से उतरने के लिए तैयार है.
ठाकुरगंज के जदयू विधायक चुनावी तैयारी को लेकर गिनाया अपना काम
- क्षेत्र में बहुत से गांव में पुल नहीं था मैंने पुल बनाया.
- बहुत से गांव में सड़क नहीं था वहां पक्के सड़क बनवाएं.
- ठाकुरगंज के किसी पंचायत में हाई स्कूल नहीं था सभी पंचायतों में हाई स्कूल बनवाएं.
- क्षेत्र में जलनल का कार्य हो रहा है.
- गलीका निर्माण और नाली का निर्माण का काम हुआ.
रोड, पुल, जल नल, शिक्षा, गली का निर्माण और नाली का निर्माण का काम हुआ. चुनावी मुद्दा पूछने पर विधायक ने कहा यही हमारा मुद्दा रहेगा.
2019 के लोकसभा इलेक्शन मे हमारे क्षेत्र के दल्लेगांव और भवानीगंज के लोगों ने बहिष्कार किया था और माननीय मुख्यमंत्री जी पिछले दिनों उसका शिलान्यास भी किए, आगे हम 6 सितम्बर को उसका शिलान्यास कर रहे हैं. दल्लेगांव और भवानीगंज का लोगों को लगता था कि काम नहीं होगा हम कई साल से कह रहे हैं काम हो गया है. वहीं विधायक ने बताया उनका मुख्य मुद्दा चुनाव में रहेगा हमने विकास किया है, लोगों का काम किया है, लोगों के बीच में रहने का काम किया है, लोगों के साथ चलने का काम किया है लोगों के दुख-सुख को समझने का काम किया है ऐही हमारा चुनावी मुद्दा है.
विधायक नौशाद आलम से एनआरसी, सीएए व एनपीआर को लेकर उनके क्षेत्र मे लोगों के द्वारा किए गये विरोध मामले में पूछने पर कहा कि हमें मुसलमान भी वोट देंगे. विधायक ने बताया विरोधी तो हमेशा रहा है और इस बार भी है.
विधायक नौशाद आलम का सियासी सफर
- विधायक नौशाद आलम साल 1995 में पहली बार सियासत मे कदम रखे थे और नौशाद आलम वर्ष 2001 मे ठाकुरगंज से पहली बार जिला परिषद की चुनाव जीते और सियासत कि मैदान पर आगे बढ़ते गए.
- पहली बार 2005 के फरवरी में विधानसभा चुनाव में एनसीपी के टिकट पर ठाकुरगंज से चुनाव लड़े, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. वहीं फिर 2005 के अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में लोजपा के टिकट पर ठाकुरगंज से दोबारा चुनाव लड़े लेकिन इस बार भी कामयाबी नहीं मिला और हार का सामना करना पड़ा.
- साल 2010 में तीसरी बार लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर ठाकुरगंज से विधानसभा चुनाव लड़े और इस बार भारी मतों से कामयाबी मिला और पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचे.
- साल 2012 में विधायक नौशाद आलम ने रामविलास पासवान के लोजपा को छोड़कर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया. इसके बाद विधायक नौशाद आलम नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं.
- साल 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने चौथी बार जदयू के टिकट पर ठाकुरगंज विधानसभा से चुनाव लड़ कर दूसरी बार विधायक बने.
- हालांकि 2015 की नीतीश सरकार में विधायक नौशाद आलम को मंत्री पद नहीं मिला. लेकिन विधानसभा सचेतक बनाया गया. वहीं विधायक पर कुल 3 केस भी है जिसमें दो केस कोर्ट से खत्म हो चुका है और एक केश कोर्ट मे चल रहा जजमेंट अब तक नहीं आया है.
- साल 2020 में इस बार भी इस विधानसभा सीट से लड़ने के लिए तैयार है. देखें यह दिलचस्प होगा की इस बार के चुनाव में इनकों क्या परिणाम मिलता है.
- ठाकुरगंज विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 87 हजार 463 है जिसमें पुरुष मतदाता 1 लाख 48 हजार 696,महिला मतदाता 1 लाख 38 हजार 762 व तीसरी जेंडर 5 मतदाता है. वहीं ठाकुरगंज विधानसभा में मतदाताओं की जेंडर रेश्यो 933 है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठाकुरगंज के महाभारत कालीन धरोहर को बचाकर पर्यटन स्थल करने की कोशिश में लगे हैं. इसी वर्ष महाभारत कालीन भातडाला पोखर का सुंदरीकरण कर उद्घाटन भी किया था. बता दे अंतरराष्ट्रीय मुहाने पर बसे ठाकुरगंज व्यापार का भी बड़ा केंद्र है. आधा दर्जन से अधिक टी प्रोसेसिंग प्लांट और कई अन्य फैक्ट्रियां ठाकुरगंज में मौजूद है, जिस कारण राज्य सरकार को सबसे अधिक इंडस्ट्री से राजस्व की प्राप्ति ठाकुरगंज से होता है. साथ ही बड़े तादात में चाय पत्ति और अनानास के साथ विदेशी फल ड्रैगन फुट का भी यहां खेती होता है. वहीं इस बार के सियासत की जंग में विधायक नौशाद आलम अपना हैट्रिक लगा पाते हैं या नहीं ये तो आने वाला समय ही बताएगा.