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किशनगंज: आजादी के दशकों बाद भी नहीं हुआ विकास, शव को खटिया पर लादकर लाना पड़ता है गांव

किशनगंज के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित नजर आ रहे हैं. बदहाली का आलम यह है कि लोग खटिया के सहारे शव को गांव तक लाते और एंबुलेंस तक पहुंचाते हैं.

गांव में बदहाली
गांव में बदहाली

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Published : Aug 24, 2020, 6:07 PM IST

किशनगंजःसुशासन बाबू की सरकार राज्य में तमाम विकास कार्य किए जाने का दावा करती है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. बिहार में आज भी कई ऐसे गांव और कस्बे हैं जहां बुनियादी सुविधाएं तक लोगों को नसीब नहीं हैं. ताजा मामला किशनगंज के ग्रामीण क्षेत्र का है. आजादी के 74 साल बाद भी यहां के लोगों को सड़क नसीब नहीं है.

किशनगंज के ग्रामीण क्षेत्र में खटिया के सहारे लोग शव को गांव तक ले जाने के लिए मजबूर हैं. सुशासन बाबू भले ही गांव-गांव तक विकास का दावा करते हैं लेकिन आज भी किशनगंज के ग्रामीण क्षेत्र विकास से लाखों कोस दूर हैं. बहादुरगंज प्रखंड के एक गांव में मृत व्यक्ति के शव को गांव तक लाने के लिए ग्रामीणों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

अस्पताल जाने के लिए करनी पड़ती है मशक्कत

इलाके में बदहाली चरम पर
दरअसल, बहादुरगंज प्रखंड के भालाटोला गांव में एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद एंबुलेंस से उसके शव को लाया जा रहा था. लेकिन सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने शव को खटिया मे लादकर करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर गांव तक पहुंचाया. इलाके में आज भी पुल-पुलिया नहीं है. लोगों को बुनियादी सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिला है. वे किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर हैं.

विधायक ने नहीं किया काम
जानकारी के मुताबिक 52 बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र पर बीते 4 टर्म से कांग्रेस विधायक तौसीफ आलम का कब्जा है. लेकिन कांग्रेस विधायक ने 20 सालों में क्षेत्र के विकास का कोई काम नहीं किया है. इससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश भी देखने को मिल रहा है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि डोहर भालाटोला गांव में अब तक आवागमन के लिए सड़क नहीं बनवाई गई है.

खटिया पर रखकर शव ले जाते लोग

बारिश में दोगुनी हो जाती है मुसीबत
स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो हर साल बारिश के मौसम में ग्रामीणों को लगभग दो किलोमीटर कीचड़मयी सड़क से होकर आवाजही करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान विधायक तौसीफ आलम और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन तक को कई बार सड़क निर्माण को लेकर गुहार लगाई गई है. लेकिन उनकी ओर से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. नतीजतन वे नारकीय हाल में जी रहे हैं.

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