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'युवा चेहरा' या 'नीतीश का भरोसा', जानिए ठाकुरगंज की मुस्लिम महिलाओं का चुनावी मुद्दा? - बिहार इलेक्शन 2020

बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को होना है. इसके लिए सभी पार्टियां पूरी तरह से तैयार हैं. दूसरे चरण में किशनगंज के ठाकुरगंज में भी वोटिंग होनी है. यहां कुछ मुस्लिम महिलाएं चिराग पासवान को अपना नेता मानती हैं. तो वहीं, नीतीश पर भरोसा करने वालों की भी कमी नहीं है.

issue of Muslim women of Thakurganj
स्थानीय महिलाएं

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Published : Nov 1, 2020, 6:00 AM IST

Updated : Nov 1, 2020, 5:14 PM IST

किशनगंज: बिहार के किशनगंज जिला के ठाकुरगंज विधानसभा में अपनी दुकान चला रही एक मुस्लिम महिला अमन चैन वाली सरकार चाहती है. वहीं गृहणी सलमा बानो का भी कहना है कि तालीम तो मायने रखती ही है लेकिन, महिला सुरक्षा, रोजगार और विकास भी बेहद जरूरी है.

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ठाकुरगंज विधानसभा की कुछ मुस्लिम महिलाएं चिराग पासवान को अपना नेता मानती हैं, इसलिए उनका कहना है कि वे लोजपा प्रत्याशी कलीमुद्दीन को वापस लाएंगी, कुछ का कहना है कि नीतीश ने मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत काम किया है इसलिए वे उनके गठबंधन को ही वोट करेंगी.

"चिराग पासवान एक युवा नेता हैं और बिहार के विकास के लिए ही अकेले लड़ रहे हैं. वे युवा हैं इसलिए वे बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि युवाओं को किस तरह का रोजगार चाहिए. इसलिए लोजपा प्रत्याशी कलीमुद्दीन को यहां के युवा जरूर वोट देंगे."- सानिया, छात्रा

सानिया

"युवा नेता हैं और वे बिहार के लोगों के रोजगार के बारे में सोच रहे हैं. उनसे बहुत उम्मीदें हैं उनके आने से शिक्षा और रोजगार के अवसर बेहतर होंगे. उनका बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा अच्छा है."- आलम आरा, स्नातक की छात्रा

आलम आरा

"नीतीश कुमार ने ठीक काम किया है खासकर बच्चों के शिक्षा के क्षेत्र में और गरीबी कम करने के क्षेत्र में. तीन तलाक खत्म कर महिलाओं के हक में अच्छा काम किया गया है." -अमिशा खातून, गृहणी

"नीतीश कुमार ने बाल विवाह पर सख्त कदम उठाए और लड़कियों की पढ़ाई के लिए बहुत काम किया. नीतीश के शासन काल में महिलाओं को सम्मान मिला और उन्हें पुरुषों के बराबर दर्जा मिला."-सरवरी बेगम, गृहणी

सरवरी बेगम

"कोई भी शौहर शराब पीने के बाद गुस्से में अपनी पत्नी को तीन बार तलाक दे देता था और महिला की जिंदगी बरबाद कर देता था. इसमें औरत सही या गलत है कोई मायने नहीं रखता था. इसलिए तीन तलाक को खत्म करने का फैसला एक बहुत अच्छा फैसला था."-नजमा खातून, छात्रा

नजमा खातुन, छात्रा

एक और स्नातक की छात्रा नाजिया इकबाल तीसरी बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगी. वह कहती हैं,'महिला सुरक्षा और शिक्षा इस चुनाव में बड़ा मुद्दा है. इस मसले पर सभी दलों को अपना रुख साफ करना चाहिए.''

दूसरी लड़कियां भी महिला सुरक्षा को मानती हैं जरूरी

मोहल्ले की दूसरी लड़कियां भी महिला सुरक्षा को जरूरी सवाल मानती हैं. हालांकि इस मसले पर चुनाव में कोई चर्चा ही नहीं है. न कोई नेता इसपर बात करता है न कोई मतदाता सवाल खड़े करता है. घरेलू महिलाओं के बीच चुनाव को लेकर कोई चर्चा तक नहीं होती है. हां, इतना जरूर है कि अब वह मतदान करने में पीछे नहीं रहती हैं. हालांकि इलाके की कुछ महिलाएं और ग्रेजुएट छात्राएं सवाल भी पूछती हैं.

चाय के बगान में काम करती महिला

मुस्लिमों की 17 प्रतिशत आबादी

चार फीसदी वाले कुर्मी और 6 फीसदी आबादी वाले कुशवाहा जब सत्ता पर अपनी दावेदारी कर सकते हैं तो 17 प्रतिशत आबादी वाले मुसलमान क्यों नहीं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि प्रदेश में 38 सीटें ऐसी है जहां उनकी आबादी 20 प्रतिशत तक है. जबकि 60 सीटें ऐसी हैं जहां वह किसी भी उम्मीदवार को जीताने या हराने में मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल के चार जिलों सहित कुल 50 सीटों पर ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अपनी दावेदारी पेश कर रहे है.

Last Updated : Nov 1, 2020, 5:14 PM IST

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