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200 वर्ष पुराने मंदिर से अष्टधातु की पंचमुखी शिव मूर्ति हुई गायब - Theft in 200 years old Shiva temple of Kishanganj

किशनगंज के 200 वर्ष पुराने शिव मंदिर से चोरों ने अष्टधातु से निर्मित भोलेनाथ की पंचमुखी मूर्ति चुरा ली. मंदिर मुगलकाल का है. शहर के मुख्य बाजार सौदागर पट्टी रोड के गांधी घाट स्थित शिव मंदिर की ये मूर्ति बहुमूल्य थी.

किशनगंज में मंदिर से अष्टधातु की शिव मूर्ति चोरी
किशनगंज में मंदिर से अष्टधातु की शिव मूर्ति चोरी

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Published : Aug 25, 2022, 3:39 PM IST

किशनगंज : चोरों ने यहां के 200 वर्ष पुराने शिव मंदिर (Theft in 200 years old Shiva temple of Kishanganj) से मंगलवार की रात चोरी की घटना को अंजाम दिया. शहर के इस सबसे प्राचीन शिव मंदिर के दरवाजा में लगे सरिया को तोड़कर चोर मंदिर के अंदर प्रवेश किए और मंदिर से शंकर भगवान की की अष्टधातु की पंचमुखी मूर्ति चुरा ले गए (Ashtadhatu Shiva idol stolen from temple in Kishanganj). घटना स्थल के ठीक पीछे गांधीघाट है, जो शहर के बीचोबीच बहने वाली रमजान नदी के पास है. घटना की भनक सुबह मंदिर के पुजारी श्रीनिवासन तिवारी के बेटे विश्वजीत तिवारी को तब लगी जब बुधवार की सुबह पूजा के लिए मंदिर का खोला. उन्होंने मंदिर से भगवान शिव की अष्टधातु से बनी पंचमुखी मूर्ति को गायब पाया.

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सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है पुलिस :उन्होंने घर के अन्य सदस्यों और आसपास के लोगों को घटना की जानकारी दी. मंदिर में चोरी की सूचना पर टाउन थाना प्रभारी अमर प्रसाद सिंह टीम के साथ पहुंच कर मामले की जानकारी ली. विश्वजीत से पूछताछ के बाद टीम आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है. विश्वजीत ने बताया कि प्राचीन मूर्ति में श्रद्धालुओं की आस्था थी.

एसपी ने दिया मूर्ति जल्द बरामद होने का भरोसा :घटना के बाद पुलिस जांच में जुट गई है.एसपी डॉ. इनामुल हक मेगनू ने बताया कि मंदिर से मूर्ति चोरी होने की सूचना मिली है. आसपास के सीसीटीवी खंगाला जा रहा है. जल्द ही मूर्ति बरामद कर ली जाएगी. हमने आदेश दिया है सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाए, जिससे दोबारा इस तरह की घटना न हो.

कृष्णागंज का नाम हुआ किशनगंज :बताते चलें कि मुगलकाल में इस मंदिर के पास एक सन्यासी आये थे. मुसलमानों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र का पता लगते ही सन्यासी जब सीमा से ही लौटने लगे तो खगड़ा नवाब फकीरूद्दीन को पता लगते ही नवाब ने उक्त सन्यासी को प्रसन्न करने के लिए आलमगंज के इस भाग का नामकरण कृष्णागंज कर दिया. इसी कृष्णागंज का तदभव शव्द रूप आज किशनगंज है और उस समय उस सन्यासी ने रमजान नदी के किनारे इस शिव मंदिर व राधाकृष्ण मंदिर का निर्माण कराया था. ऐतिहासिक होने के वाबजूद मंदिर रखरखाव व देखरेख के अभाव मे आज मंदिर जर्जर हालत में है. मंदिर सैकड़ों वर्ष पहले बना था जो आज भी उसी हालत में है.मंदिर का दरवाजा पुराना होने की वजह से चोरों ने घटना को आसानी से अंजाम दे दिया.

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