किशनगंज: जीतनराम मांझी (former chief minister Jitanram Manji) ने बिहार के किशनगंज में हो रही हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि उनके घर शराब बनती थी. मेरे माता-पिता शराब पीते थे. उनके घर में शराब बेचा भी जाता था. बावजूद इसके जीतनराम मांझी ने शराब को हाथ तक नहीं लगाई. जीतनराम मांझी ने शराबबंदी (prohibition law in Bihar) को अच्छी बताते हुए कहा कि जब ये सब हो रहा था तब शराबबंदी नहीं थी. लेकिन तब भी हम अपने होठों तक शराब नहीं ले गए. उन्होंने बिहार में शराबबंदी कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि जागरूकता की इसमें बहुत कमी है. जो कानून बना है उसमें दोष ज्यादा है. शराबबंदी कानून का अनुपालन एसे हो रहा है कि पुलिस करोड़पति हो रहे हैं और गरीब गुरबे लोग जेल जा रहे हैं.
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'मेरे मां-बाप शराब पीते थे, मेरे घर में शराब बेचा जाता था, घर में शराब पीने और पिलाने का माहौल था. लेकिन, मैं शराब तक छूता नहीं था. वहां तब कोई शराबबंदी नहीं थी. लेकिन, मेरी इच्छा शराब पीने की नहीं हुई तो मैंने शराब नहीं पिया. अब शराबबंदी फंसाने का तरीका बन गई है. गरीब लोगों को फंसाया जा रहा है और पुलिस पदाधिकारी करोड़पति होते जा रहे हैं'- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री बिहार
'शराबबंदी में सिर्फ फंसाने का हो रहा खेल': जीतनराम मांझी ने साफ साफ कहा कि आज की शराबबंदी में सिर्फ फंसाने का खेल चल रहा है. किसी को फंसाना है तो उसके घर में शराब की बोतलें रखवाकर आरोप मढ़ दो और जेल में ढूंस दो. इसके अनुपालन में बहुत गड़बड़ियां हैं. इस खामी की ओर उन्होंने कई बार ध्यान आकृष्ठ कराया. मांझी से पत्रकारों ने पूछा कि बिहार में शराबबंदी सफल है कि नहीं तो उन्होंने कुछ इसी तरीके से गोल गोल जवाब देकर जागरूकता की कमी पर नाकामी का ठप्पा लगा दिया.