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शराबबंदी पर बोले मांझी- 'मेरे माता-पिता शराब पीते थे, घर में दारू बेची जाती थी लेकिन मैने छुई तक नहीं'

शराबबंदी पर जीतनराम मांझी ने कहा कि मेरे माता और पिता शराब पीते थे और बिक्री किया करते थे. लेकिन हमने कभी शराब नहीं पिया और उसवक्त शराबबंदी कानून भी नहीं था. उन्होंने कहा कि शराब के प्रति लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाना चाहिए. कड़े कानून से गरीबों लोगों को झुटे मुकदमे में फंसाया जा रहा है. अधिकारी और पुलिस पदाधिकारी शराबबंदी के बाद से करोड़पति बन गए है और गरीब तबके के लोग निर्दोष फंस रहें हैं. उन्होंने मांग किया कि शराबबंदी कानून में और भी सुधार लाने की जरूरत है.

हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
मांझी ने कहा कि मेरे माता और पिता शराब पीते थे

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Published : Jun 5, 2022, 5:38 PM IST

किशनगंज: जीतनराम मांझी (former chief minister Jitanram Manji) ने बिहार के किशनगंज में हो रही हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि उनके घर शराब बनती थी. मेरे माता-पिता शराब पीते थे. उनके घर में शराब बेचा भी जाता था. बावजूद इसके जीतनराम मांझी ने शराब को हाथ तक नहीं लगाई. जीतनराम मांझी ने शराबबंदी (prohibition law in Bihar) को अच्छी बताते हुए कहा कि जब ये सब हो रहा था तब शराबबंदी नहीं थी. लेकिन तब भी हम अपने होठों तक शराब नहीं ले गए. उन्होंने बिहार में शराबबंदी कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि जागरूकता की इसमें बहुत कमी है. जो कानून बना है उसमें दोष ज्यादा है. शराबबंदी कानून का अनुपालन एसे हो रहा है कि पुलिस करोड़पति हो रहे हैं और गरीब गुरबे लोग जेल जा रहे हैं.

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'मेरे मां-बाप शराब पीते थे, मेरे घर में शराब बेचा जाता था, घर में शराब पीने और पिलाने का माहौल था. लेकिन, मैं शराब तक छूता नहीं था. वहां तब कोई शराबबंदी नहीं थी. लेकिन, मेरी इच्छा शराब पीने की नहीं हुई तो मैंने शराब नहीं पिया. अब शराबबंदी फंसाने का तरीका बन गई है. गरीब लोगों को फंसाया जा रहा है और पुलिस पदाधिकारी करोड़पति होते जा रहे हैं'- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री बिहार

'शराबबंदी में सिर्फ फंसाने का हो रहा खेल': जीतनराम मांझी ने साफ साफ कहा कि आज की शराबबंदी में सिर्फ फंसाने का खेल चल रहा है. किसी को फंसाना है तो उसके घर में शराब की बोतलें रखवाकर आरोप मढ़ दो और जेल में ढूंस दो. इसके अनुपालन में बहुत गड़बड़ियां हैं. इस खामी की ओर उन्होंने कई बार ध्यान आकृष्ठ कराया. मांझी से पत्रकारों ने पूछा कि बिहार में शराबबंदी सफल है कि नहीं तो उन्होंने कुछ इसी तरीके से गोल गोल जवाब देकर जागरूकता की कमी पर नाकामी का ठप्पा लगा दिया.

गौरतलब है कि हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की एक दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक किशनगंज में चल रही थी. उसी दौरान उन्होंने ये बातें कहीं. इसके अलावा भी जीतनराम मांझी ने खुलकर मीडिया के सामने कई मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी की. उन्होंने नीतीश को पीएम मैटेरियल तो बताया लेकिन चुटकी लेते हुए कहा कि भले ही नीतीश सर्वगुणसंपन्न हैं तो क्या हुआ, सर्वगुण होने के बावजूद भी सबकुछ हासिल नहीं हो पाता.

बिहार में 2016 में की गई थी शराबबंदी : बता दें कि बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया गया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

अब जुर्माना देकर छूट जाएंगे शराबी :हालांकि, 6 साल बाद शराबबंदी कानून में समीक्षा के बाद बड़ा बदलाव (Changes In The Prohibition Law) किया गया है. जिसके बाद यदि को व्यक्ति पहली बार शराब पीते पकड़ा जाता है तो उसे जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा. लेकिन बार-बार पकड़ें जाने पर जेल और जुर्माना दोनों की सजा हो सकती है. पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने वालों को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के निर्णय के अनुसार 2,000 रुपये से 5,000 रुपये के बीच जुर्माना लेकर रिहा किया जाएगा. यदि पहली बार अपराध करने वाला व्यक्ति जुर्माना अदा करने में विफल रहता है तो उसे एक माह की कैद हो सकती है. अगर आप दूसरी बार शराब पीते पकड़े गए तो अनिवार्य रूप से एक वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.

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