किशनगंजःकिशनगंज विधानसभा उपचुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम ने कमरुल होदा को टिकट दिया है. मुखिया प्रतिनिधि के तौर पर चुवानी राजनीति की शुरुआत करने वाले कमरुल होदा को लगभग 20 सालों का राजनीतिक अनुभव है. उसके बाद ये पंचायत समिति का चुनाव जीतकर प्रखंड प्रमुख बने. फिर जिला परिषद के सदस्य के रूप में चुने गए और जिप अध्यक्ष भी बनाए गए.
कमरुल होदा कांग्रेस उम्मीदवार और वर्तमान सांसद डॉ जावेद आजाद की मां सईदा बानोऔर बीजेपी प्रत्याशी स्वीटी सिंह के मुकाबले विधानसभा उपचुनाव के मैदान में हैं. ईटीवी भारत ने इनसे खास बातचीत की. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश.
एआईएमआईएम प्रत्याशी से सवाल करते ईटीवी संवाददाता बुनियादी जरूरतों को बना रहे हैं मुद्दा
कमरुल होदा ने कहा कि इलाके का विकास, एकता और अखंडता चुनाव में मेरा मुख्य एजेंडा रहेगा. यहां की बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वस्थ्य व्यवस्था की बिगड़ी हालत के मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जा रहा हूं. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से लेकर अभी तक यहां की जतना को कभी परिवाद के नाम तो कभी सांप्रदायिकता का डर दिखाकर छला गया है.
ईटीवी भारत के सवालों का जबाव देते कमरुल होदा मुझे आजमा चुकी है जनता
एआईएमआईएम प्रत्याशी कमरुल होदा ने कहा कि जनता मुझे जनप्रतिनिधि के रूप में आजमा चुकी है. मेरे पास राजनीति का लंबा अनुभव है. क्षेत्र में एकता और सौहार्द बनाए रखना मेरी प्राथमिकी रही है. मेरी उम्मीदवारी को लेकर लोगों में उत्साह है. उन्होंने कहा कि हर समुदाय के लोग मुझे वोट देंगे और मुझे पूरा विश्वास है कि मैं भारी मतों से जीतूंगा.
पेश है एआईएमआईएम प्रत्याशी कमरुल होदा से खास बातचीत 'डॉ जावेद का विकास से वास्ता नहीं'
कमरुल होदा ने कहा कि चुनाव प्रचार में घुमने के दौरान सड़को का हाल देख रहा हूं. सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे है. यहां के एमएलए विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दिए. उन्होंने डॉ जावेद आजाद का नाम लिए बगैर कहा कि उनके पिता यहां 15 साल विधायक रहे, मंत्री भी रहे, लेकिन क्षेत्र में विकास को कोई काम नहीं दिखता है. फिर जनता ने इन्हें(डॉ जावेद आजाद)एमएलए बनाया, ये भी मंत्री रहे. अब सांसद हो गए हैं लेकिन इनका विकास से कभी कोई वास्ता नहीं रहा है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते कमरुल होदा 'परिवारवाद से उब चुकी है जनता'
सांसद डॉ जावेद आजाद पर तंज करते हुए एआईएमआईएम प्रत्याशी ने कहा कि राजनीत में पद का मोह देखिए. जिस बुढ़ी मां को हज रहाना चाहिए था उन्हें राजनीति में ले आए हैं. उनकी उम्र घर में आराम करने की है, पोते-पोतियों को खेलानी की है. उन्हें चुनाव लड़ा रहे हैं. कमरुल होदा ने कहा कि जनता परिवारवाद से उब चुकी है. मतदाता इन्हें इस चुनाव में सबक सिखा देगी.