किशनगंज: जिले के सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक के जीर्णोद्धार के बाद अत्याधुनिक तकनीक युक्त सुसज्जित ब्लड बैंक का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश की ओर से किया गया. ब्लड बैंक में रजिस्ट्रेशन सेंटर, स्टोर रूम, स्ट्रॉन्ग रूम के साथ-साथ काउंसलिंग सेंटर की भी व्यवस्था की गई है.
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'जरूरतमंद को रक्त की कमी ना हो, इसके लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दृढ़ संकल्पित है. ऐसे में हमने लोगों से अपील की है कि रक्त दान करें. साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को रक्त दाता को सर्टिफिकेट निर्गत करने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है. वहीं, रेडक्रॉस सोसायटी को शिविर आयोजित कर लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किए जाने का सुझाव दिया गया है.'- डॉ. आदित्य प्रकाश, डीएम
कम राशि में मिलेगी बेहतर सुविधा
सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने बताया कि डायलसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है. इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है. जब किसी व्यक्ति के गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं. गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी और उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है. स्वस्थ व्यक्ति में गुर्दे के माध्यम से जल और खनिज का सामंजस्य रखा जाता है. डायलसिस स्थायी और अस्थाई होती है. यदि डायलिसिस के रोगी के गुर्दे बदल कर नये गुर्दे लगाने हों, तो डायलिसिस की प्रक्रिया अस्थाई होती है. यदि रोगी के गुर्दे इस स्थिति में न हों कि उसे प्रत्यारोपित किया जाए, तो डायलिसिस अस्थायी होती है, जिसे आवधिक किया जाता है.
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यूनिट का उद्घाटन
सदर अस्पताल के भवन में बनी डायलिसिस यूनिट का उद्घाटन के साथ ही वहां मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि निजी क्लीनिक में एक बार डायलिसिस कराने में 4 से 5 हजार रुपये से अधिक खर्च लगता था. लेकिन अब सदर अस्पताल में डायलिसिस यूनिट लगने से कम राशि में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी. सिविल सर्जन ने कहा कि 95 प्रतिशत किडनी डैमेज होने पर मरीज का डायलिसिस होता है, नतीजतन ऐसे मरीजों को आनन-फानन में पटना या सिलिगुडी रेफर करना पड़ता था. यह सुविधा सदर अस्पताल में शुरू होने से अब मरीजों को पटना नहीं भेजना पड़ेगा.