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17 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य विभाग के संविदाकर्मी, चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था

जिले में सोमवार को 17 सूत्री अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के संविदाकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गये हैं. इस दौरान डीपीसी विश्वजीत कुमार ने बताया कि संविदाकर्मी विगत कई वर्षों से विभाग में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके संविदा कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.

Kishanganj
17 सूत्री मांगो को लेकर हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य विभाग के संविदाकर्मी

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Published : Aug 24, 2020, 4:44 PM IST

किशनगंज: जिले में सोमवार को संविदा कर्मियों ने जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय में अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की. वहीं, संविदा कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई हैं.

सदर अस्पताल में हो रही कोविड की जांच पर भी इसका असर पड़ रहा है. अस्पताल में कोविड की जांच कराने आ रहे मरीजों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है और जांच की रिपोर्ट में भी काफी देर हो रही है.

वहीं, प्रदर्शन के दौरान डीपीसी विश्वजीत कुमार ने बताया कि संविदाकर्मी विगत कई वर्षों से विभाग में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं और स्वास्थ्य से संबंधित केंद्र व राज्य सरकार के कार्यक्रमों का सफल संचालन कर रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके संविदा कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.

संविदा कर्मियों की हड़ताल
उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदाकर्मी संघ ने सरकार के समक्ष अपनी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद जुलाई में हड़ताल किए जाने पर सरकार के द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन 1 महीने बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई, नतीजतन हम ना चाहते हुए भी हड़ताल पर जाने के लिए विवश हो गए है, और जब तक सरकार हमारी मांगे नहीं मान लेती है, तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा.

संविदा कर्मियों की मांगे

  • स्वास्थ्य उपकेंद्र तक प्रबंधकीय कैडर कर्मियों का 1 महीने का समतुल्य प्रोत्साहन राशि दी जाये.
  • संविदा कर्मियों के लिये पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कोड लागू कर समायोजन करते हुए नियमित किया जाये.
  • 2011 से लंबित मानदेय को पुनरीक्षित किया जाये.
  • फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा लागू कि जाये.
  • नियमितीकरण प्रक्रिया तक एचआर पॉलिसी लागू कर चयन मुक्त प्रथा को समाप्त किया जाये.
  • सेवाकाल के दौरान आकस्मिक निधन होने पर कर्मी के परिवार को ₹25 लाख क्षतिपूर्ति सहित परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाये.

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