किशनगंज: बिहार के किशनगंज में बैंक के शाखा प्रबंधक पर भ्रष्टाचार का आरोप (branch manager accused of corruption) लगा है. बताया जा रहा है कि किशनगंज के उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक किशनगंज शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक (former branch manager Virendra Kumar Das) ने एक दलाल के साथ मिलकर लाखों का गबन किया है. मामले का खुलासा तब हुआ जब बैंक की ऑडिट की गई. मामला सामने आने के बाद वर्तमान शाखा प्रबंधक ने टाउन थाना में लिखित आवेदन दिया और शाखा प्रबंधक सहित अन्य के खिलाफ राशि गबन करने की प्राथमिकी दर्ज करवाई.
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ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप:उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास, तथाकथित बैंक दलाल सह खाताधारी सोनाबाबू पर पैसे के गबन को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है. जिसे लेकर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई गई है. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेन्द्र कुमार दास पर 5 लाख 96 हजार 732 रुपये गबन करने और बैंक को 11 लाख 41 हजार 576 रुपये का नुकसान करवाये का आरोप लगाया गया है.
बैंक ऑडिट के बाद हुआ खुलासा:दर्ज प्राथमिकी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व बैंक में ऑडिट किया गया था. ऑडिट करने वाले ने अपनी रिपोर्ट में खाताधारी सोनाबाबू के लेनदेन को संदेहास्पद बताते हुए रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट दिए जाने के बाद बैंक के वरीय अधिकारी के द्वारा मामले की जांच करवाई गई थी. जांच में मामला सही पाया गया. जिसके बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए तत्कालीन शाखा प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया था. निलंबन से पूर्व किशनगंज के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास बारसोई बाजार शाखा में पोस्टेड थे. जांच में यह पाया गया था कि बैंक के द्वारा 47 लोगों को ऋण देने के बाद बदले में सिक्युरिटी के रूप में एलआईसी का बॉन्ड लिया गया था. जिसके बाद तत्कालीन बैंक मैनेजर ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए खाताधारी सोनाबाबू के अकाउंट में 47 लोगों के मैच्यूरिटी की राशि डलवा लिया था.
खुलासे के बाद उड़े अधिकारियों के होश:जांच के दौरान जब यह खुलाशा हुआ तो बैंक के वरीय अधिकारियों के होश उड़ गए. वहीं आवेदन मे बताया गया है कि यूबीजीबी खाता संख्या 10080910.... जिसके खाताधारी सोना बाबू हैं. एक थर्ड पार्टी अकाउंट है और इसी खाते मे गबन के नियत से कुल 47 एल० आई० सी० बांड का मेचोरिटी का राशि मंगवाया गया एवं खाताधारी द्वारा डेबिट कार्ड एवं नेफ्ट के द्वारा निकासी की गई. सभी लेन-देन तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास के आदेश एवं संरक्षण मे हुआ था. गौरतलब है कि ग्रामीण बैंकों में छोटी-छोटी ऋण के बदले सिक्योरिटी के तौर पर एलआईसी या डाकघर का बांड पेपर लिया जाता है. ताकि ऋण का भुगतान नहीं किए जाने पर बांड मैच्योर होने पर बैंक उसका भुगतान बैंक के आधिकारिक खाते में या फिर शाखा प्रबंधक या बैंक के उच्च अधिकारी के निर्देशानुसार ऋणधारी के खाता मे करवा सके. लेकिन तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने बैंकिंग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 47 लोगों का एल आई सी बॉन्ड के मेच्योरिटी राशि को तथाकथित दलाल सोना बाबू के खाते में जमा करवा दिया और रुपया का गबन कर गए।
बैंक में दलाली का काम करता था खाताधारक:बताया जा रहा है कि सोना बाबू नामक व्यक्ति यूबीजीबी बैंक में दलाली का काम करता था और लोगों को लोन दिलवाने के नाम पर मोटी रकम की वसूली करता था. सोना बाबू लंबे समय से ग्रामीण बैंक में दलाली का काम करते आ रहा था. हालांकि कुछ माह पूर्व जब तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास का ट्रांसफर हुआ था. तब से सोना बाबू बैंक में नजर नहीं आया था. फिलहाल गिरफ्तारी के लिए पुलिस दोनों की तलाशी कर रही है.
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