किशनगंज: नेपाल के तराई क्षेत्र और किशनगंज में एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश से नेपाल सीमा से सटे जिले से होकर बहने वाले सभी नदियां उफान पर हैं. नदियों के जलस्तर लगातार बढ़ने से नदी खतरे के निशान को छू रही है. बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में लगे हैं. बाढ़ आने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. हजारों एकड़ में लगे धान, अदरक, हल्दी जैसी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है.
नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ में ग्रामीण
सीमावर्ती जिला किशनगंज नेपाल और पहाड़ी क्षेत्र में सटे होने के कारण हर वर्ष बारिश के मौसम में इस इलाके में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो जाती है. किशनगंज जिले में बहने वाली महानंदा, डोंक, कनकई, रतुआ, मेची और कोल नदी बरसात के मौसम में खतरे के निशान से ऊपर बहती है. जिससे इलाके में तबाही और बर्बादी लोगों की किस्मत में लिखी रहती है. कई दिनों से नेपाल और उसके तराई क्षेत्र में लगातार बारिश होने से किशनगंज के सभी नदियां तांडव मचा रही है.वहीं ग्रामीण भी नदियों के बढ़ते जलस्तर से खौफ के साए में जी रहे हैं.
कई गांवों में घुसा पानी
जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर गाछपाड़ा पंचायत के टेघनमारी आदिवासी टोला में लोग अब घर छोड़ने को विवश हो गए हैं. लोगों के घरों में महानंदा का पानी घुस गया है. सभी आदिवासी परिवार अपना ठीकाना गांव के स्कूल को बनाया है. वहीं बेलवा,मोतिहारा तालुका,चकला, दौला, पिछला पंचायत के कई गांवों में नदी के पानी घुस जाने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है.