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किशनगंज सदर अस्पताल में कोरोना से 3 महीने की बच्ची की मौत, एनआईसीयू में रखा होता तो बच सकती थी जान

किशनगंज में तीन महीने की बच्ची की कोरोना से जान चली गई है. शुक्रवार देर शाम हुई इस घटना से पूरे बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है. सभी के जबान पर एक ही सवाल हैं. किशनगंज के सदर अस्पताल में एनआईसीयू होता, तब भी बच्ची इस दुनिया से रुखसत हो जाती? बता दें कि बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.

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Published : Jun 7, 2021, 12:28 AM IST

किशनगंजःकोरोना की तीसरी लहर दस्तक देनेवाली है. इसके बावजूद बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था लचर स्थिति में है. पहले लहर के खत्म होने के बाद से ही चेताया गया था कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित होगी. इस पर स्वास्थ्य विभाग की तैयारी ना के बराबर रही. किशनगंज से इस बात की पुष्टि करती हुई एक दर्दनाक खबर भी सामने आ गई. एक मासूम जिसे इस दुनिया में आंख खोले महज तीन महीने हुए थे, उसने कोरोना से दम तोड़ दिया. स्थिति यह रही कि व्यवस्था ठीक होती, तो बच्ची की जान बच सकती थी.

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बच्चे के माता-पिता नहीं हैं संक्रमित
शुक्रवार की शाम किशनगंज गलगलिया भाड़ा टोला की रहने वाली तीन महीने की बच्ची की कोरोना से मौत हो गई. बच्ची की मां और पिता कोरोना संक्रमित नहीं हैं. जिले में तीन महीने की बच्ची में कोरोना वायरस मिलने और इससे मौत होने का यह पहला मामला है. अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवार हुसैन ने कोरोना से बच्ची की मौत की पुष्टि की है. उन्हाेंने बताया कि बच्ची की जान बचाने की भरपूर कोशिश की गयी थी.

एंटीजेन किट से हुआ कोरोना टेस्ट
बच्ची के पिता फिरोज आलम ने बताया कि बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. उसे एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया गया. उन्होंने सदर अस्पताल रेफर कर दिया. सदर अस्पताल में तीन जून को पहले बच्ची का कोरोना टेस्ट एंटीजेन किट से हुआ. बच्ची कोरोना संक्रमित पाई गई. उसे सदर अस्पताल में ही ऑक्सीजन में रखा गया. उसका ऑक्सीजन लेवल 70 रह रहा था. तबीयत बिगड़ता देख डॉक्टरों ने एनआईसीयू में रखने के लिए जन नायक कर्पूरी चिकित्सा महाविद्यालय मधेपुरा रेफर किया गया.

हॉस्पिटल ले जाने में असमर्थ थे पिता
पिता ने बच्ची को जन नायक कर्पूरी चिकित्सा महाविद्यालय ले जाने में असमर्थता जतायी. और सदर अस्पताल में ही इलाज करने को कहा. सदर अस्पताल में ही बच्ची ने शुक्रवार की शाम दम तोड़ दिया. घटना के बारे में सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया.

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बिहार में यह कैसी तैयारी?

  • बिहार में बच्चों के लिए 33 जिलों में वेंटिलेटर ही नहीं
  • सिर्फ 5 जिलों में बच्चों के लिए है वेंटीलेटर
  • अभी कुल 143 वेंटिलेटर बिहार में है
  • 1000 वेंटीलेटर की है जरूरत
  • बिहार में बच्चों के लिए हैं 816 बेड
  • 10000 बेड की बिहार में है जरूरत
  • बिहार में हैं 184 नीकू
  • बिहार में 175 हैं पीकू
  • बच्चों के लिए मात्र 6 आईसीयू उपलब्ध

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