खगड़िया:बिहार के खगड़िया में प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी (PHC In Charge Detained In Khagaria) को नशे में हिरासत में लिया गया है. सीएम नीतीश कुमार के शराब बंदी वाले बिहार में विभिन्न विभाग के कुछ अधिकारी शराब का लगातार सेवन कर रहे हैं. ये बातें फिर एक बार प्रमाणित हो गई है. ताजा मामला खगड़िया जिले का है. जहां परबत्ता पीएचसी प्रभारी डॉ. राजीव रंजन को पुलिस ने शराब के नशे में हिरासत मे ले लिया है. जिसके बाद से अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. बहरहाल परबत्ता पुलिस हिरासत में लिए गए PHC प्रभारी के ऊपर मामला दर्ज कर लिया है. वहीं आरोपी पीएचसी प्रभारी अभी भी पुलिस हिरासत में हैं.
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अप्रैल 2016 से शराबबंदी :गौरतलब है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. अवैध तरीके से देसी शराब उत्पादन और विदेशी शराब की बिक्री की जा रही है. ऐसे माफियाओं पर लगातार बिहार पुलिस की ओर से अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है. पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2021 में बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत बिहार के सभी जिलों में विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया है. इस दौरान कुल 66,258 प्राथमिकी दर्ज की गई है.
शराबबंदी के लाखों केस पेंडिंग :बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) के कारण लाखों केस पेंडिंग है. जेलों में बड़ी संख्या में लोग सुनवाई के इंतजार में बंद हैं. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था और उसके बाद ही सरकार ने संशोधन भी किया और केस के निपटारे के लिए कई तरह के प्रयास भी शुरू किया जा रहा है. गौरतलब है कि विधानसभा में मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 पास कराया गया था. जिसके बाद इस संशोधित कानून के तहत कार्रवाई की जा रही थी. दरअसल शराबबंदी कानून को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था क्योंकि कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जेलों में कैदियों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा था. इन सभी चिजों को देखते हुए सरकार ने इस कानून में संशोधन किया और कानून को लचीला बनाने की कोशिश की.