खगड़ियाः बिहार के खगड़िया सर्किट हाउस में पूर्व सासंद आनंद मोहन(inquiry into former MP Anand Mohan case) के रुकने के मामले में कई तरह की बातें सामने आ रही है. एक तरफ इस मामले को लेकर खगड़िया के डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सर्किट हाउस का केयर टेकर इस बात से अनभिज्ञता जता रहा है कि यहां पूर्व सासंद के रुके थे, क्योंकि वह आनंद मोहन को पहचानने तक से इंकार कर रहा है.
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उठ रहे हैं कई सवालःआनंद मोहन के सर्किट हाउस में रुकने के मामले को देख खगड़िया के डीएम आलोक रंजन घोष ने एडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ है तो गलत हुआ है. जिसके नाम से कमरा बुक था, उसी को ठहरना था. पूरे मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल, साफतौर पर समझा जा सकता है कि किस तरह से लापरवाही हुई है. सर्किट हाउस की जवाबदेही सीधे डीएम के पास होती है और कौन व्यक्ति उसमें ठहरेंगे उसका निर्णय भी डीएम लेते हैं. हालांकि एनडीसी की निगरानी में सर्किट हाउस का संचालन होता है. अब देखना यह है कि जांच के आदेश तो दिए गये हैं, लेकिन कार्रवाई किस पर होगी? क्या एनडीसी जांच के घेरे में है?
''मामला गंभीर है. जिसके नाम से कमरा बुक था, उसी को ठहरना चाहिए. एडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है. मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी. अगर इसमें कोई कर्मचारी की संलिप्तता पाई गई तो उस पर भी कार्रवाई होगी''- आलोक रंजन घोष, डीएम, खगड़िया
सर्किट हाउस मामले में लगा पेचः खगड़िया के सर्किट हाउस के रजिस्ट्रर में आरजेडी विधायक चेतन आनंद (RJD MLA Chetan Anand) और आरजेडी नेता लवली आनंद (RJD leader Lovely Anand) के नाम पर तीन कमरा 2, 3 और 5 को बुक बताया जा रहा है. रजिस्टर में 12 अगस्त की रात 12 बजे से सुबह के दस बजे तक तीन कमरा को बुक किया गया है, लेकिन उसमें पूर्व सांसद आनंद मोहन आकर रुके थे. आनंद मोहन आरजेडी के जिला अध्यक्ष कुमार रंजन, आरजेडी नेता मनोहर यादव समेत आरजेडी कार्यक्रताओं से भी सर्किट हाउस में मिले. इस दौरान आरजेडी कार्यकर्ताओं ने अपने फेसबुक एकाउंट पर भी आनंद मोहन से मिलते हुए फोटो को पोस्ट किया है. ऐसे में कई सवाल सर्किट हाउस को बुक करने को लेकर उठ रहे हैं. इस बाबत केयर टेकर के बयान से ऐसा लगा की वह आनंद मोहन को पहचानता तक नहीं है.
''चेतन आनंद के नाम से दो कमरा बुक था. सवा 12 बजे आए, सोए और 9 बजे निकल गए. उनके साथ उनके पिता आनंद मोहन नहीं थे. वैसे मैं उनको नहीं पहचानता हूं'' - अशोक कुमार,केयरटेकर,सर्किट हाउस
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