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पानी की किल्लत: कागजों से बाहर नहीं आ रही योजनाएं, किसानों की बढ़ी परेशानी

जिले में कागज पर 180 नलकूप हैं. जिसमें करीब 144 नलकूप चालू हालत में हैं. लेकिन ये आंकड़ें नलकूप विभाग के कागजों में तो है लेकिन धरातल पर नहीं.

राजकीय नलकूप

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Published : Jun 5, 2019, 1:01 PM IST

खगड़ियाः किसानों को सिंचाई के पानी की उपलब्धता के लिए सूबे की सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. जैसे राजकीय नलकूप योजना या हर खेत बिजली योजना. लेकिन सरकार चाहे लाख योजना बना ले, लेकिन तमाम योजनाओं का हाल एक जैसा ही है.

जिले में करीब 180 नलकूप बनकर तैयार हैं. लेकिन इन नलकूपों से किसानों को जितना लाभ मिलना चाहिए, वो नहीं मिल पा रहा है. बल्कि उल्टा किसानों की बची-खुची जमा पूंजी भी खत्म होती जा रही है. जानकारी के अनुसार जिले में कागज पर 180 नलकूप हैं. जिसमें करीब 144 नलकूप चालू हालत में हैं. लेकिन ये आंकड़ें नलकूप विभाग के कागजों में तो है लेकिन धरातल पर नहीं.

राजकीय नलकूप

क्या कहता है नियम
कुछ दिनों पहले इसके नियम में बदलाव किए गए थे. पहले राजकीय नलकूप को चलाने के लिए सरकार कॉन्ट्रैक्ट पर ऑपरेटर रखती थी. लेकिन अब पंचायत स्तर पर नलकुपों को मुखिया के हाथों सौंप दिया गया है. वहीं, एक सरकारी दर तय कर दी गई है जो कि 320 रुपये प्रति एकड़ है.

राजकीय नलकूप

मनामने पैसे देने को मजबूर किसान
जब से नलकूप मुखिया के हाथों सौपी गई है तब से मुखिया किसानों से मनमाने ढंग से पैसे वसूल रहे हैं. कहीं 500 रुपये प्रति एकड़ ले रहे हैं तो कहीं 600 से 700 रुपये. ऐसे में किसानों की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है. लेकिन जिला प्रशासन हो या सूबे की सरकार हो. किसी को इस बात की सुध नहीं है.

खगड़िया के चौथम प्रखंड के जवाहर नगर के ग्रामीणों में इस बात को लेकर काफी आक्रोश है. उनका कहना है कि इस योजना से हम रत्ती भर भी फायदा नहीं हुआ है. बल्कि सिर्फ और सिर्फ नुकसान है.

राजकीय नलकूप

क्या है आरोप

  • जितनी दूर पानी जाना चाहिए उतनी दूर तक नहीं पहुंच पता है
  • जब खेत को पानी की जरूरत होती है तब नलकूप से पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है
  • पानी के खेतों तक पहुंचने का रास्ता नहीं बना है
  • जरूरत से ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं
  • मुखिया अपनी मनमानी करते हैं
    कागजों से बाहर नहीं आ रही योजनाएं

वहीं, इन सभी सवालों के जवाब में जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार का कहना है कि ऐसी शिकायत हम तक नहीं पहुंची थी. अब ये मामला संज्ञान में आया है इसको अपने तरीके से जांच करवाकर कार्रवाई करेंगे. जिला अधिकारी ने भी बताया कि सरकारी दर तय की गई है. उसी हिसाब से किसानों से पटवन का पैसा लेना होगा.

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