खगड़ियाः कहते हैं कि मेहनत करने का जज्बा हो तो सफलता मिलते देर नहीं लगती. कुछ ऐसा ही जिले के अलौली पर्रे में देखने को मिल रहा है. जहां कभी दूसरों की मजदूरी करने वाले रंजय पासवान आज मुर्गी पालन के जरिए अपनी किस्मत चमका रहे हैं. रंजय अपनी मेहनत से जिले के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं.
कृषि वैज्ञानिकों से मिल रही मदद
जिले के 60 से अधिक किसान मुर्गी के साथ बकरा और बकरी पालन कर अपना भविष्य संवार रहे हैं. रंजय पासवान इन किसानों के रोल मॉडल बन चुके हैं. इसमें पशुपालकों को स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की भी काफी मदद मिल रही है. रंजय को देखकर जिले के 5 दर्जन से अधिक किसान आज उन्नत नस्ल के वनराज, कड़कनाथ मुर्गा-मुर्गी व शेरा बकरा-बकरी पालन कर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं.
50 मुर्गी से शुरू की फार्मिंग
मुर्गी पालक रंजय पासवान ने बताया कि पहले वो बेंगलुरु में मजदूरी किया करते थे. जिससे मुश्किल से उनके परिवार का भरण पोषण हो पाता था. जिसके बाद वो वापस खगड़िया आ गए यहां उनको कृषि विज्ञान केंद्र से मुर्गीपालन करने की सलाह दी गई. जिसके बाद उन्होंने साल 2016 में 50 मुर्गी से फार्मिंग शुरू की. फिर 2017 में राजस्थान से सिरोही नश्ल का बकरा ले कर आए और आज वे हर साल 3 से 4 लाख का मुनाफा कमाते हैं.
कई बार किया जा चुका है सम्मानित
रंजय पासवान ने बताया कि उन्होंने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र में इसके लिए प्रशिक्षण लिया है. रंजय को मुर्गी पालन के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. भागलपुर में आयोजित क्षेत्रीय कृषि मेला में उन्हें नवाचार कृषक के साथ उन्नत नस्ल के बकरा, वनराज,कड़कनाथ मुर्गीपालन में भी पहला स्थान मिला था. इससे पहले वेटनरी कॉलेज पटना से बेस्ट इनोवेटिव फार्मर अवॉर्ड मिल चुका है. साथ ही कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार भी रजंय को सम्मानित कर चुके हैं.
मुर्गी पालन की तकनीक
मुर्गी पालक रंजय के पास अन्य जिलों और राज्यों से किसान आधुनिक व ऑर्गेनिक तरीके से मुर्गी पालन की तकनीक सीखने आते हैं. रंजय ने बताया कि जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्हें सऊदी अरब से भी अक्सर फोन आते हैं.