खगड़िया: देश के अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार के साथ उनके बच्चों की शिक्षा को लेकर मुश्किलें बढ़ गई है. लॉकडाउन में रोजगार गवांकर और सारी कमाई लुटाकर बीवी बच्चों संग जैसे-तैसे अपने घर लौटे, लाखों प्रवासी मजदूरों के सामने अब रोजी-रोटी के जुगाड़ के साथ ही बच्चों की शिक्षा को लेकर बड़ी समस्या आ खड़ी है. इन बच्चों के लिए शिक्षा का इंतजाम सरकार के सामने बड़ी चुनौती है.
वहीं इस संकट को भांपकर बिहार सरकार बच्चों के दाखिले के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सर्वे करके उन सभी बच्चों की सूची तैयार कर बिना किसी डॉक्यूमेंट के नामांकन लिया जाय. लेकिन धरातल पर ये सब काम होते हुए नहीं दिखाई दे रहा है. ईटीवी भारत की पड़ताल के मुताबिक प्रवासियों के पास अब तक कोई प्रशासन की टीम नहीं गई है.
लॉकडाउन के दौरान जिले में लगभग 46 हजार प्रवासी मजदूर आए है. हालांकि जिला शिक्षा विभाग की मानें तो अब तक 412 प्रवासी बच्चों का नामांकन कराया जा चुका है. लेकिन प्रवासियों से बातचीत और पड़ताल में बात सामने आई है कि विद्यालय बंद होने की वजह से कहीं नामांकन नहीं हो रहा है. प्रवासी मजदूर जो दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर या अन्य जगहों से आये हैं उनकी मानें तो बीच साल में बच्चों की पढ़ाई छूट गई है. लेकिन बिहार सरकार इस पर गंभीर नहीं है. दिल्ली से लॉकडाउन में आया एक परिवार कहता है कि यहां जब से आया हूं तब से बच्चों की पढ़ाई रुकी हुई है. प्रवासी माता-पिता का कहना है कि बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं.
स्कूल नहीं जाना से लग सका है शिक्षा पर ग्रहण बच्चों की शिक्षा को लेकर विकट समस्या
बता दें कि जानकारी के अनुसार खगड़िया में ये समस्या ज्यादा विकट होने वाली है, क्योंकि यहां प्रवासियों की संख्या बहुत ज्यादा आई है. लॉकडाउन लगने के बाद से जिले में आंकड़ों के अनुसार से लगभग 46 हजार प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान खगड़िया आये हैं. इन सभी लोगों के लिए इन दिनों बच्चों की शिक्षा को लेकर विकट परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं है कि वह लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए निजी स्कूल भेज सकें.
माता-पिता के पास नहीं है पैसे की निजी स्कूलों में दाखिला करा सके. शिक्षा का अधिकार
शिक्षा के अधिकार के कानून के तहत 6 से 14 साल तक के सभी बच्चें को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देने का प्रवधान हैं, लेकिन इस बार तो स्कूल बंद होने से सत्र ही संकट में है. जिसके कारण नय सत्र काफी विलंब से शुरू होगा. बिहार में हर साल प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों में नामांकित बच्चों को ही स्कूल तक लाना मुश्किल होता है. वहीं पलायन से लौटे बच्चों को स्कूलों की चौखट तक लाना और उनके लिए किताबें, यूनिफॉर्म के अलावा मिड डे मील और छात्रवृत्ति का इंतेजाम करना बड़ी चुनौती होगा. खतरा इस बात का भी होगा कि बच्चों को सरकार स्कूल तक नहीं ले जा पायी तो बच्चों की शिक्षा में ग्रहण लगना तय हो जाएगा.
राज देव राम, जिला शिक्षा अधिकारी अब तक 412 बच्चों का हुआ दाखिला
जिला शिक्षा अधिकारी राज देव राम का कहना है कि जिला शिक्षा विभाग प्रवासी बच्चों के लिए गम्भीर है. अब तक 412 बच्चों का नामांकन कराया जा चुका है. इसको लेकर आगे सर्वे जारी है जैसे ही कोरोना का कहर कम होगा और बच्चों का नामांकन लिया जाएगा. जो 412 बच्चों का दाखिला लिया गया वो 1 जुलाई से 15 जुलाई के बीच में लिया गया था.
खगड़िया जिला में जो वास्तविक स्थिति है उस हिसाब से ईटीवी भारत की माने तो जैसे एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड की योजना केंद्र ने लागू की है. उसी प्रकार प्रवासी मजदूरों के बच्चों के शिक्षा के लिए भी ऐसी ही योजना बनाई जाए. ताकि ये बच्चें अपने माता-पिता के साथ जंहा भी जाए वहीं पर अपनी शिक्षा को जारी रख सकें.