खगड़िया: बिहार सरकार विकास का चाहे कितना भी ढोल पीट ले, लेकिन ढोल में पोल की कहावत कई बार सरकार के लिए चरितार्थ हो जाती है. बात करें खगड़िया बस स्टैंड की तो इसके विकास की बात छोड़ ही दीजिए. यहां नई ईंट लगी दिख जाए, तो भी मन को तसल्ली मिल जाए.
सरकारी भवनों को नए तरीके से आधुनिक बनाने की कवायद में जहां सभी राज्यों में होड़ मची हुई है. वहीं, बिहार में आज भी दशकों पहले वाली सोच जिले के बस स्टैंड में देखने को मिलती है. इसे बस स्टैंड सिर्फ नाम का बस स्टैंड कह सकते है क्योंकि यहां पर एक बोर्ड भी नहीं है, जिससे इसकी पहचान की जा सके. बाद बाकी सुविधाओं के बारे में सोचना बेमानी होगी.
हर पल, हादसे का डर
दसकों पहले बने खगड़िया बस स्टैंड की सुविधाओं की बात करें, तो यहां एक शेड भी नहीं है, जिसमे यात्री बैठ कर आने-जाने वाली बसों का इंतजार कर सकें. यहां शेड के नाम पर एक जर्जर छत है, जो कब गिर जाए और कब एक बड़ा हादसा हो जाए. इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.
बरसात के दिनों में हालत और खराब
प्रतिदिन 5 हजार यात्रियों के आवागमन वाले इस बस स्टैंड में स्वच्छता मिशन की झलक कहीं नहीं दिखाई देती. यहां शौचालय भी नहीं बना है. वहीं, पीने के पानी के लिए भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है. बस स्टैंड को चारो ओर बाउंड्री वॉल भी नहीं है. यही वजह है कि यहां बरसात के मौसम में जलजमाव की स्थिति भी बनी रहती है.
सरकार पर से उठा भरोसा
ड्राइवर और यात्री इन सारी असुविधाओं को लेकर खासा नाराज दिखते हैं. परेशानी पूछने पर ये सीधे मुंह बात नहीं करते क्योंकि इनका सरकार पर से भरोसा उठ गया है. लोगों की माने तो कई बार इस बाबत ज्ञापन भी लिखा जा चुका है. मगर हालात ज्यों के त्यों हैं.
मेयर ने दिया ये तर्क
बहरहाल, खगड़िया नगर परिषद के डिप्टी मेयर सुनील पटेल का कहना है कि बस स्टैंड के आस पास से चार लेन सड़क निकलने वाली है. इसकी वजह से काम नहीं किया जा रहा है. सड़क निर्माण के बाद बस स्टैंड का डीपीआर तैयार करवाया जाएगा और सारी मूलभूत सुविधाओं से इसे लैस करवाया जाएगा.