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जान जोखिम में डाल इस रेल पुल को पार करते हैं ग्रामीण, शॉर्टकट के चक्कर में कई लोगों की हो चुकी है मौत

ग्रामीणों का कहना है कि आने-जाने के लिये यहां पक्की सड़क नहीं है. काफी सालों से यहां चचरी पुल था लेकिन पानी की धार में वो भी बह गया. प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. लिहाजा जान जोखिम में डालकर लोग सड़क पार कर रहे हैं.

जान जोखिम में डालकर रेलवे पुल पार करते लोग

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Published : Aug 16, 2019, 11:18 AM IST

कटिहार: जिले के सेमापुर ओपी क्षेत्र में लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पार करने को मजबूर हैं. पक्की सड़क नहीं होने के कारण उन्हें ये रास्ता अपनाना पड़ता है. शॉर्टकट और लापरवाही के चक्कर में दो दिन पहले ही ट्रेन से कटकर तीन लोगों की मौत हो गई थी.

दरअसल कटिहार-बरौनी रेलखंड के लालपुल के नीचे से कारी कोसी नदी बहती है और ऊपर से ट्रेन गुजरती है. गुवाहाटी-नई दिल्ली सेक्शन होने के कारण यह रूट काफी बिजी रहता है. औसतन बीस से पच्चीस मिनट के अंतराल पर यहां से ट्रेनें गुजरती हैं. बावजूद इसके लोग जान हथेली पर लेकर बेधड़क रेलवे ट्रैक से होकर नदी पार करते हैं.

शॉर्टकट के चक्कर में गंवानी पड़ती है जान

जान जोखिम में डालकर पुल पार करते हैं ग्रामीण
यदि ट्रैक पार करते वक्त ही ट्रेन चली आये तो लोगों के पास कोई ऑप्शन नहीं होता है कि वह अपनी जान कैसे बचाएं. यदि वह नीचे कारी कोसी नदी में छलांग लगाते हैं तो पानी में डूबने से उनकी मौत हो सकती है और अगर ट्रैक पर रहते हैं तो ट्रेन की चपेट में आना तय है. हालांकि ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों के पास नदी पार करने के लिये रास्ता नहीं है.

बेखबर है प्रशासन
ग्रामीणों का कहना है कि आने-जाने के लिये यहां पक्की सड़क नहीं है. काफी सालों से यहां चचरी पुल था लेकिन पानी की धार में वो भी बह गया. अब आवागमन में काफी परेशानी होती है. रेलवे पुल पार करने के आलावा कोई रास्ता नहीं है. आये दिन लोगों की मौत होती है. बगल में रेलवे क्वार्टर है. सैकड़ों लोग इस रास्ते से आते जाते हैं, फिर भी प्रशासन की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

जान जोखिम में डालकर रेलवे पुल पार करते हैं ग्रामीण

शॉर्टकट के चक्कर में गंवानी पड़ती है जान
लोगों का कहना है कि वो शॉर्ट कट के चक्कर में रेल पुल पार करते हैं. यदि सड़क के रास्ते चलें तो उन्हें आधे घंटे से ज्यादा शहर पहुंचने में लगता है. लेकिन रेलवे ट्रैक से होकर वो दस मिनट से भी कम समय में शहर पहुंच जाते हैं. आसपास के गांव से शहर की दूरी रेलपुल से होकर महज दस मिनट की है, जबकि सड़क मार्ग से आधे से पौने घंटा लग जाता है. सड़क की मांग को लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. लिहाजा जान जोखिम में डालकर लोग सड़क पार कर रहे हैं.

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