कटिहार : सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास का दावा तो करते हैं लेकिन हकीकत में आज भी धरातल से कोसों दूर है. सूबे के कई ऐसे इलाके हैं जहां के लोग सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं. 15 सालों से बिहार में एनडीए की सरकार है. इसके बावजूद विकास दर जिस रफ्तार से होनी चाहिए. वो दिखती नहीं है.
मानो बिहार में विकास की रफ्तार थम सी गई है. आम जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. इनके हालात को न कोई देखने वाला है और नहीं कोई सुनने वाला. यही वजह रहा कि कटिहार जिले में ग्रामीणों ने खुद चंदा इकट्ठा कर एक चचरी पुल का निर्माण कर अपने जिंदगी को सुगम बनाने की कोशिश की.
चचरी का पुल बना ग्रामीणों का सहारा इस इलाके के सांसद, मंत्री, विधायक सब के सब सिर्फ कागजों पर ही विकास की गाथा लिखते हैं. आज तक इस क्षेत्र पर इनकी ध्यना नहीं गई या इस क्षेत्र का पैसा भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया! कहा नहीं जा सकता. हर साल आती प्राकृतिक आपादा से लोग त्रस्त तो हैं ही लेकिन जब स्थानीय जनप्रतिनीधि भी अनदेखी कर दे तो फिर जनता किसके सहारे रहेगी.
3 साल के बाद भी नहीं हुआ सड़क निर्माण का कार्य
दरअसल कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड के चापी गांव में 2017 में आई भीषण बाढ़ के दौरान हसनगंज से कोढ़ा प्रखंड को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बाढ़ के कारण टूट गया था. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी सड़क का निर्माण का कार्य नहीं किया गया. जिस कारण बरसात के दिनों में लोगों को नाव के सहारे आवागमन करना पड़ता था, जो हादसे को निमंत्रण दे रहा था. एक दो-बार नाव भी पलटी और लोग बाल-बाल बचे भी. जिसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर यहां पर चचरी पुल का निर्माण कर दिया.
विधायक से गुहार लगाने के बाद भी नहीं बनी सड़क
ग्रामीणों के इस सड़क के निर्माण के लिए बीजेपी विधायक तार किशोर प्रसाद से कई बार गुहार लगाई लेकिन विधायक ग्रामीणों की बात को अनसूना करते रहे और आज तक नहीं मानी. सड़क नहीं बनने का मुख्य वजह यह भी बताया जाता है कि यह इलाका कोढा विधानसभा और कटिहार विधानसभा के सीमा पर मौजूद है. जिस कारण 2 विधानसभा क्षेत्र के चलते यहां पर सड़क या पुलिया का निर्माण नहीं कराया जा रहा है. विधायक जब ग्रामीणों की समस्या को नहीं सुने तो ग्रामीणों ने 40 से 50 हजार रुपये चंदा इकट्ठा किया और उसके बाद यहां पर चचरी पुल का निर्माण करा दिया.
चचरी के पुल के सहारे मोटरसाइकिल पार करता युवक 2017 के बाढ़ में कटी थी सड़क
इस बाबत स्थानीय लोग बताते हैं कि 2017 के बाढ़ में यहां पर सड़क कटा था. लेकिन 3 साल बीत गए कई बार विधायक आए और गए लेकिन किसी ने भी यहां पर पुलिया सड़क निर्माण करने की जरूरत नहीं समझी. बरसात के दिनों में नाव से आवागमन करते थे लेकिन कई नाव हादसे होने के कारण नाव से आवागमन बंद कर दिया गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया और यहां पर चचरी पुल का निर्माण कराया. इस चचरी पुल के निर्माण के बाद अब ग्रामीण आने-जाने वाले लोगों से 5 रूपये कर के रूप में वसूल रहे हैं. लोग बेहिचक दे भी रहे हैं.
चचरी के पुल पर पैदल चलते लोग दो विधानसभा क्षेत्र के सीमा का भुग्तभोगी बना यह इलाका
बिहार के विधानसभा चुनाव में महज कुछ दिन बाकी रह गए हैं. ऐसे में इस इलाके के लोग दो विधानसभा क्षेत्र के मझधार में फंस गए हैं. दोनों विधानसभा के सीमा पर मौजूद होने के कारण इस इलाके के लोगों को सड़क या पुलिया नसीब नहीं हो पा रहा है. जिस कारण आवागमन में काफी परेशानी हो रही है. जब किसी जनप्रतिनिधी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तब लोगों ने चंदा इकट्ठा कर चचरी पुल का निर्माण कर दिया. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा चुनाव से पहले इस इलाके के लोगों को पूल या सड़क नसीब हो पाता है या नहीं?