कटिहारः समय के साथ अलग-अलग विभागों में बदलाव हुए हैं. जहां रेलवे ने किराया में वृद्धि की, वहीं जन सुविधाएं भी बढ़ायी. दूसरी तरफ पीएम मोदी ने विकलांगों को दिव्यांग नाम दिया. नाम तो बदल गया पर शायद किस्मत नहीं. दिव्यांग आज भी सुविधाओं से वंचित हैं. इसकी बानगी कटिहार रेलवे स्टेशन पर देखने को मिली. जब कामाख्या एक्सप्रेस में दिव्यांग बोगी नहीं होने से एक दिव्यांग को ट्रेन छोड़ना पड़ा.
कटिहार स्टेशन की यह तस्वीर रेलवे अधिकारियों को सोचने पर मजबूर कर देगी. कामाख्या स्टेशन से आनंद विहार जाने वाली कामाख्या-आनंद विहार एक्सप्रेस में दिव्यांग बोगी नदारद रहने से दिव्यांग मो. जाफरोज ने ट्रेन छोड़ दी. दरअसल, कामाख्या एक्सप्रेस कटिहार स्टेशन पर लगी हुई थी. उसी दौरान एक दिव्यांग यात्री, दिव्यांग बोगी ढूंढ रहा था. लेकिन उसे ट्रेन में कहीं भी दिव्यांग बोगी नजर नहीं आया. इसके बाद दिव्यांग दूसरी ट्रेन से पटना की ओर रवाना हो गया.
ट्रेन पकड़ने के लिए इधर-उधर भटकता दिव्यांग भीड़ की वजह से नहीं चढ़ पाया ट्रेन
सालेहपूर महेशपुर निवासी दिव्यांग यात्री मो. जाफरोज ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें आनंद विहार (दिल्ली) जाना है. लेकिन कामाख्या एक्सप्रेस में एक भी दिव्यांग बोगी नहीं है. ट्रेन में घुसने की कोशिश भी की. जनरल बोगी में काफी भीड़ थी. भीड़ की वजह से बैठना भी मुश्किल है, मजबूरन ट्रेन छोड़नी पड़ी.
दिव्यांग बोगी खोजता दिव्यांग यात्री हर ट्रेन में रहता है दिव्यांग बोगी
बता दें कि दिव्यांग यात्रियों के लिए रेलवे हर ट्रेन में एक विशेष बोगी उपलब्ध कराती है. जिसमें सिर्फ दिव्यांग यात्री सफर करते हैं. लेकिन कामाख्या एक्सप्रेस में दिव्यांग बोगी के नहीं रहने से दिव्यांग यात्री को परेशानी उठानी पड़ी. ऐसे में गंतव्य तक पहुंचने के लिए लिंक ट्रेन पर सवार होकर जाना पड़ा. कटिहार जंक्शन पर इस तस्वीर से रेलवे की सुविधाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े करते हैं.
दिव्यांग यात्री मो. जाफरोज