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बोले दुलाल चंद गोस्वामी - सुबह करता था खेती, दिन में राजनीति - nitish kumar

दुलाल चंद ने बताया कि वो सुबह में खेती और दोपहर के बाद राजनीति करते थे. कटिहार के लोगों का आशीर्वाद है कि आज 2019 में एनडीए के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा के चुनाव में खड़ा हूं.

दुलाल चंद गोस्वामी

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Published : Apr 14, 2019, 12:08 AM IST

कटिहार: एनडीए उम्मीदवार दुलाल चंद गोस्वामी ने जिले में आयोजित अपनी चुनावी जनसभा में जनता को संबोधित करते हुए अपनी जीवनी का बखान किया. इस दौरान उनके साथ मंच पर सीएम नीतीश कुमार मौजूद रहे. वहीं, उन्होंने कहा कि वो सुबह में खेती करते थे और दोपहर के बाद राजनीति.

चुनावी भाषण के दौरान अपनी जीवनी सुनाते हुए एनडीए उम्मीदवार दुलाल चंद गोस्वामी ने बताया कि मैं एक सामान्य परिवार में जन्मा हूं. कटिहार के बलरामपुर (बारसोई) विधानसभा से 1995 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बना था. 1995 में कटिहार के 7 विधानसभा सीट के 3 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. हम सभी विधायकों ने कटिहार के विकास के लिए काम किया.

मंच पर दुलाल चंद गोस्वामी

सीएम नीतीश ने बनाया मंत्री
वहीं, 2010 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और बलरामपुर (बारसोई) विधानसभा क्षेत्र से विधायक बना. तभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमे अपने साथ ले गए और बिहार सरकार में श्रम एवं संसाधन मंत्रालय दिया गया.

गिनवाये विकास कार्य
दुलाल चंद गोस्वामी ने बताया कि बलरामपुर (बारसोई) के विकास की चर्चा सिर्फ कटिहार में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में की जाती है. हम लोगों ने मुख्यमंत्री के सहयोग से पुल, पुलिया, सड़क, नाला और आईटीआई कॉलेज बनवाने का काम किया है. बिहार सरकार में दो बार श्रम मंत्री भी रहे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोग और मार्गदर्शन से राज्य में अच्छा काम भी किया.

सुबह खेती, दिन में राजनीति
दुलाल चंद्र गोस्वामी ने अपनी जीवनी बताते हुए कहा कि मेरा जन्म एक सामान्य परिवार के किसान के घर में हुआ. पहली बार चुनाव में जब हारे थे, तब खुद ट्रैक्टर चलाने का काम करते थे और हल चलाकर खेती का काम करते थे. सुबह में खेती और दोपहर के बाद राजनीति करते थे. कटिहार के लोगों का आशीर्वाद है कि आज 2019 में एनडीए के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा के चुनाव में खड़ा हूं.

प्रतिद्वंदी पर कसा तंज
दुलाल चंद गोस्वामी ने इशारों में ही कटिहार के पांच बार के सांसद तारिक अनवर पर तंज कसते हुए कहा वो कटिहार के मिट्टी का रचा बसा नहीं है. उन्हें ना ही गंगा का किनारे का मतलब है और न ही महानंदा के किनारे का. ना ही उन्हें कोशी के किनारे बसे लोगों से प्यार है, उन्हें कहीं और से प्यार है. कटिहार की जनता ने उन्हें 5 बार सांसद बनाया. लेकिन उन्होंने यहां की जनता के लिए कोई काम नहीं किया.

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