कटिहार: शहर के प्रतिष्ठित डीएस कॉलेज के 14 हजार छात्र महज 18 शिक्षकों के भरोसे हैं. इस महाविद्यालय में 18 विभाग हैं, जिनमें से कुछ विभागों में एक भी शिक्षक नहीं है. यही कारण है कि यहां के छात्र कोचिंग संस्थानों में पढ़ने को मजबूर हैं. छात्रों के अनुसार वो यहां केवल परीक्षा देने और डिग्री लेने आते हैं.
14 विषयों में नहीं हैं शिक्षक
1953 में स्थापित इस महाविद्यालय की हालत आज बद से बदतर हो गई है. यहां 14 विषयों में बिना शिक्षकों के ही पढ़ाई होती है. यहां उच्च शिक्षा महज नामांकन और परीक्षा तक सीमित तक सीमित रह गई है. स्नातकोत्तर में फिलहाल 642 छात्र-छात्राएं नामांकित है लेकिन उनकी शिक्षा कोचिंग संस्थानों पर या निजी शिक्षकों पर ही निर्भर है.
विश्वविद्यालय के तरफ से नहीं उठाए गए कदम
महाविद्यालय में शिक्षकों की पदस्थापन को लेकर विश्वविद्यालय स्तर से भी किसी प्रकार से पहल नहीं की जा रही है. जबकि पूर्णिया विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद कई शिक्षकों को स्थानांतरण विश्वविद्यालय में होने के कारण प्रधानाध्यापकों की कमी और और बढ़ती जा रही है. बावजूद इसके महाविद्यालय के तरफ से इसके लिए कदम नहीं उठाया जा रहा है.
72 शिक्षकों की जगह 18 शिक्षक कार्यरत
कॉलेज के प्रधानाध्यापक डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कॉलेज में 72 शिक्षक होने चाहिए थे, लेकिन यहां मात्र 18 शिक्षक ही कार्यरत हैं. शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कई बार पूर्णिया विश्वविद्यालय को पत्र लिखा गया, लेकिन स्थिति आज भी वैसे ही बनी हुई है. पीजी में शिक्षकों की कमी होने के कारण वर्तमान में मौजूद 18 शिक्षक ही सभी बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.