कटिहार: रेलवे में निजीकरण और अन्य समस्याओं के खिलाफ जिले की सड़कों पर रेल कर्मचारी यूनियन ने एक बाइक रैली निकालकर सरकार और रेल प्रशासन को खिलाफ जमकर हल्ला बोला. इस दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि रेल में वरीय अधिकारियों की कॉलोनी, सड़कें और आवास चकाचक होते हैं. लेकिन रेलवे के निम्न कर्मचारियों की कॉलोनियों की हालत बेहद खराब होती है.
रेलवे धीरे-धीरे निजीकरण की ओर
विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे रेलवे को निजीकरण की ओर ले जा रही है. जो बर्दाश्त नहीं होगा. रेलवे के निजीकरण से रेलवे कर्मचारियों का पतन हो जायेगा और बेरोजगारी की समस्या बढ़ेगी. भारतीय रेल गिने-चुने पूंजीपतियों के हाथों में चले जाने से सरकारी नौकरी में आम जनता की भागीदारी नहीं रहेगी.
रेल कर्मचारी यूनियन के सचिव रूपेश कुमार मंडल रेलवे अस्पताल जर्जर
इस विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व NFREU के तत्वाधान में किया गया था. मौके पर यूनियन के सचिव रूपेश कुमार ने बताया कि रेलवे के निजीकरण से ना केवल रेलकर्मी बल्कि देश का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. रेलवे कॉलोनियों की स्थिति जर्जर हो चुकी है. मंडल रेलवे अस्पताल जर्जर स्थिति में है . इस ओर रेलवे के वरिय अधिकारीयों और सरकार का ध्यान आकृष्ट नहीं हो पा रहा है. जिससे सम्सयाएं बढ़़ती जा रही है. इसलिए अगर समय रहते सरकार नहीं चेतती है तो और तेज आंदोलन कर रेल चक्का जाम किया जाएगा.
विरोध-प्रदर्शन कर रहे रेल कर्मचारी यूनियन एनपीएस भी है मुद्दा
रेलकर्मियों ने कहा कि रेलवे में निजीकरण और एनपीएस लागू करने के लिए गए निर्णय को केन्द्र सरकार वापस ले नहीं तो लगातार विरोध प्रदर्शन किया जाता रहेगा. उन्होंने कहा कि हमलोगों की मांगें जायज है और सरकार इसे पूरी करे. गौरतलब है कि दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक भारतीय रेलवे 1853 में अपनी स्थापना के समय से सरकार के हाथों में रही है. विगत दिन पहले ख़बर आई थी कि लखनऊ से दिल्ली को प्रस्तावित तेजस एक्सप्रेस को निजी हाथों में देने की तैयारी पूरी हो गई है. जिसके बाद रेलवे में निजीकरण कि बात देश में जंगल की आग के तरह फैल गया था.