कटिहार:मंदी की वजह से आलू के दाम इतने गिर चुके हैं कि इस समय किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसानों का कहना है कि बीज समेत अन्य खर्चे बढ़ने के कारण इस बार आलू की लागत भी बढ़ी है, ऐसे प्रति एकड़ करीब चालीस से पचास हजार रुपये का घाटा सहना पड़ रहा हैं. ऐसे में किसान खेतों में अगली फसल लगाने के लिये अपनी हाड़-मांस की पसीने से उपजे फसलको बिचौलिये को बेचने को मजबूर हैं.
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बता दें कि यह दृश्य कटिहार के रौतारा इलाके का है, जहां जिले में बड़ी संख्या में किसानआलू की खेती करते हैं. अमूमन फरवरी के अंतिम सफ्ताह तक किसानों की आलू की फसल तैयार हो जाती हैं और किसान खेतों में अगली फसल लगाने के लिये निकाई-गुड़ाई कर खेत तैयार करने में जुट जाते हैं. लेकिन मार्च का महीना चढ़ चुका है और आलू उत्पादक किसानों के फसल अभी तक पूरी तरह से उखड़े नहीं हैं.
नहीं पहुंच रहे हैं आलू के खरीददार
इसका वजह साफ है कि फसलों को उखाड़ने के प्रति किसानों में उत्साह नहीं हैं. जो इक्के-दुक्के किसान अपने आलू के फसल को उखाड़ भी रहे हैं तो उनकी परेशानी यह है कि आलू के खरीददार यानि व्यापारी उनतक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में स्थानिय बाजारों में आलू के कीमत पांच से छह सौ रुपये प्रति क्विंटल हैं. जबकि लागत ग्यारह सौ रुपये से अधिक है. ऐसे में किसान करे तो क्या करे, कुछ समझ नहीं आ रहा.