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ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ पीड़ितों को 'चूड़ा' तक नहीं मिला, 'चूहा' खाने को हैं विवश

दिल को दहला देने वाली यह घटना कटिहार के दंडखोरा इलाके की हैं. जहां महानंदा नदी का पानी गांव में घुसने से गांव डूब गया है. ग्रामीणों का संपर्क शहरी इलाकों से पूरी तरह टूट गया है.

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Published : Jul 16, 2019, 7:43 PM IST

Updated : Jul 16, 2019, 9:32 PM IST

बाढ़ में फंसे ग्रामीण

कटिहार:एक दौर था जब समुदाय विशेष के लोग चूहा खाकर गुजारा करते थे. प्रकृति के प्रकोप ने एक बार भी मानव जाति को सदियों पुरानी जीवन शैली अपनाने को मजबूर कर दिया है. पूरा प्रदेश इन दिनों भयानक बाढ़ झेल रहा है. जन-जीवन बुरी तरह बाधित है. हर ओर चीख-पुकार मची है.

चूहा पकड़ कर खाने को मजबूर

इसी प्रकृति के कहर के बीच मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. बाढ़ पीड़ित इतने लाचार हैं कि किसी भी हद तक जा रहे हैं. दरअसल, कटिहार में सरकारी मदद न मिलने से लाचार कई परिवार अब जिंदा रहने के लिए चूहे मार कर खा रहे हैं. बाढ़ के बाद भूख की मार भी इस कदर उनपर हावी हो रही है कि वह किसी तरह बस अपना जीवन बचा रहे हैं.

बाढ़ में फंसे ग्रामीण

फंसे हुए हैं सैकड़ों लोग
दिल को दहला देने वाली यह घटना कटिहार के दंडखोरा इलाके की हैं. जहां महानंदा नदी का पानी गांव में घुसने से गांव डूब गया है. ग्रामीणों का संपर्क शहरी इलाकों से पूरी तरह टूट गया है. लिहाजा, लोग बुरी तरह फंस गए हैं. और अपने गांव से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, जिससे उनमें काफी आक्रोश है. किसी तरह चूहे खाकर लोग अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

चूहे का कर रहे शिकार

खत्म हो चुका है राशन
बाढ़ में फंसे लोग बताते हैं कि उन्हें कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. उनका राशन खत्म हो चुका है. घर भी डूब चुके हैं. लेकिन, सरकार को कोई चिंता नहीं है. उन्हें जिंदगी और मौत के बीच बेसहारा छोड़ दिया गया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

नहीं मिली सरकारी मदद
मालूम हो कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों को चुड़़ा दिया जाता है. लेकिन, कटिहार के विभिन्न इलाकों में आए बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए पर सरकार नहीं पहुंची हैं. लिहाजा, पेट की आग मिटाने के लिए लोग चूहे का शिकार कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 16, 2019, 9:32 PM IST

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