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कटिहार: बारिश के बाद किसानों के खिले चेहरे, जोर शोर से शुरू हुआ धानरोपनी का कार्य - ladies

स्थानीय किसान मो. सिद्धीक बताते हैं कि पुरुष मजदूर मिलते ही नहीं हैं. पुरूष मजदूर वर्ग पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्यों में चले गए हैं. इसलिए महिला मजदूर ही काम कर रही है. वहीं, महिला मजदूर की दिनभर की दिहाड़ी भी कम है.

खेतों में नजर आ रही महिला मजदूर

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Published : Jul 14, 2019, 9:54 AM IST

कटिहार: जिले में बीते 8 दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से किसानों के मुरझाये चेहरे खिल उठे हैं. जिले में धानरोपनी का दौर चल रहा है. वहीं, कृषि विभाग ने 73 हजार एकड़ में धानरोपनी का लक्ष्य रखा है. लेकिन खेती के इस गहमागहमी के बीच खेतों से पुरुष वर्ग नदारद हैं. धानरोपने की कमान महिलाएं संभाल रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इलाके के पुरुष मजदूर परदेश कमाने के लिए पलायन कर गये हैं.

खेतों में नजर आ रही महिला मजदूर

स्थानीय किसान मो. सिद्धीक बताते हैं कि पुरुष मजदूर मिलते ही नहीं हैं. पुरूष मजदूर वर्ग पैसा कमाने के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर गए हैं. इसलिए धानरोपनी का बीड़ा महिलाओं ने उठा रखा है. यहां ये गौर करने वाली बात है कि महिला मजदूर की दिहाड़ी पुरूषों के मुकाबले कम होती है.

समस्या पर काबू पाने की हो रही कोशिश
कटिहार से लोकसभा सदस्य और राज्य के पूर्व श्रम संसाधन मंत्री मंत्री दुलाल चन्द्र गोस्वामी ने इस मामले पर कहा कि खेती प्रधान राज्यों में सालों भर खेती नहीं होती है. ऐसी स्थिति में सूबे के लोग खेती के बाद दूसरे राज्यों में काम करने चले जाते हैं. साथ ही उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि जब से नीतीश कुमार सीएम बने हैं तब से इस समस्या पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है.

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