कटिहार: लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गरीब मजदूरों और जरूरतमंदों को 3 महीने तक 5 किलो मुफ्त अनाज देने की बात कही थी, लेकिन कटिहार शहरी क्षेत्र के नगर निगम के वार्ड संख्या 1 के गौशाला गांव में 500 परिवारों को अनाज का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ है. आलम यह है कि यहां के लोग समाजसेवी संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले सूखा राशन के भरोसे अपना पेट भर रहे हैं.
कटिहार: सरकार के बड़े दावे फेल, सामाजिक संगठनों द्वारा दिये जा रहे राशन से जी रहे गरीब
स्थानीय लोग बताते हैं कमाने वाले लोग स्कूल में क्वॉरेंटाइन में हैं और सरकार की ओर से अभी तक उनके परिवार वालों को कोई मदद नहीं दी गई है. राशन कार्ड भी नहीं बना है.
बताया जाता है कि इस गांव के लोग सरकारी जमीन पर बसे हुए हैं और रोजगार के लिये दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी अपने घर लौट आये हैं. वापस लौटे सभी लोगों को स्कूलों में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है. ऐसी हालात में इनके परिवारों के सामने भूखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई है. ऐसी स्थिती में समाजसेवियों की तरफ से दिये गये राशन के सहारे उनके परिजन अपना पेट पाल रहे हैं.
घर के कमाने वाले स्कूलों में क्वॉरेंटाइन हैं
यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कमाने वाले लोग स्कूल में क्वॉरेंटाइन में हैं और सरकार की ओर से अभी तक उनके परिवार वालों को कोई मदद नहीं दी गई है. राशन कार्ड भी नहीं बना है. सामाजिक संगठनों द्वारा दिये जा रहे अनाज से लोग दिन गुजार रहे हैं. वहीं क्वॉरेंटाइन सेंटर की अवधि पूरा कर गांव लौटे एक युवक ने बताया कि उन्हें सेंटर में मूढी और नमक खाने को दिया जाता था. क्वॉरेंटाइन सेंटर में भी अच्छी व्यवस्था नहीं है. सरकार जितने दावे कर रही है, वैसी व्यवस्था नहीं मिल रही.