कटिहारः जिले में गंगा और महानंदा में तेजी से हो रहे कटाव के कारण जिले के लाखों परिवार विस्थापित हो गए है. जीवन यापन करने के लिए यें रेलवे लाइन के किनारे या तो सड़क के किनारे झुग्गी और झोपड़ियों में जीवन यापन करने को मजबूर है. सरकार की योजनाओं का भी लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है. वहीं, विस्थापित परिवार सरकार से पुनर्वास की मांग कर रहे है.
गंगा किनारे रहने को लोग मजबूर कटाव के कारण लाखों परिवार हो गए विस्थापित
कटिहार जिला चारों ओर से नदियों से घिरा है. जिसके कारण प्रत्येक वर्ष जिले में आने वाली बाढ़ काफी तबाही मचाती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं और जान माल का भी भारी नुकसान होता है. लेकिन बाढ़ पीड़ितों का तकलीफ कम होने का नाम नहीं लेता. बाढ़ का पानी घटते हीं गंगा और महानंदा विकराल रूप ले लेती है और तेजी से कटाव शुरू हो जाती है. कटाव के कारण प्रत्येक वर्ष जिले के कई गांव और सरकारी स्कूल गंगा में समा जाते है. लिहाजा ना हीं सरकार का ध्यान और प्रशासन का ध्यान इस ओर अभी तक गया है और ना ही कटाव निरोधक कार्य शुरू किए गए है.
प्रशासन नहीं देता ध्यान
जिले के मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला गांव में रेलवे लाइन के किनारे गुजर-बसर कर रहें हजारों परिवार यूं ही झुग्गी झोपड़ी लगाकर अपना जीवन यापन तो कर रहे है. लेकिन सरकार से इन विस्थापितों को कोई भी मदद नहीं दी जाती. सरकार के सात निश्चय योजना, आवास योजना या कोई भी सरकार की योजना इन विस्थापितों को नहीं मिल पाता. जिस कारण इनकी जिंदगी जीते जी मरने की समान है.
क्या कहते हैं स्थानीय
विस्थापित महिला बताती हैं गंगा में हो रहे तेजी से कटाव के कारण इनका गांव गंगा में विलीन हो चुका है. उसके बाद पूरा परिवार रेलवे लाइन के किनारे सरकारी जमीन में आकर बस गया है. लेकिन रेलवे लाइन में बसे होने के कारण अधिकारी यहां से भगाते रहते है. ऐसे में हम जाए तो कहां जाए. सरकारी मदद भी नहीं मिलती. सरकार की ओर से नहीं रहने के लिए घर दिया जाता है और न ही जमीन. अगर ऐसे ही चलता रहा तो पूरा परिवार गंगा में डूब कर अपना जान दे देगा.
रेलवे लाइन पर रहने को मजबूर स्थानीय नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ
सरकारी योजना का लाभ और शौचालय नहीं दिए जाने पर कटिहार जिला उप विकास आयुक्त सुश्री वर्षा सिंह बताती है कि गंगा क्षेत्र के इलाकों में विभाग की ओर से वैसे लोगों के लिए सरकारी जमीन चिन्हित कर सामुदायिक शौचालय बनाएगी. जो 4 सीटर और 6 सीटर होगी और इस सामुदायिक शौचालय का देखभाल उन समुदाय को ही करना है.