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कटिहार में पुल पर चढ़ा महानंदा नदी का पानी, कई इलाकों का जिला मुख्यालय से टूटा संपर्क

बाढ़ का कहर इस कदर है कि लोगों के आवागमन के लिये बने हुलकाहा पुल पर भी तीन से चार फीट पानी बह रहा है. जिससे लोग जान हथेली पर रखकर पुल पार कर रहे हैं. नाव का कोई इंतजाम नहीं है.

महानंदा नदी का कहर
महानंदा नदी का कहर

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Published : Aug 17, 2020, 2:03 PM IST

कटिहारः जिले के मनिहारी में महानंदा नदी का कहर जारी है. इलाके के हसवर में कटिहार-अमदाबाद मुख्य सड़क के पुल पर बाढ़ का पानी चढ़ जाने से इलाके का जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क खत्म हो गया है. वहीं लोगों के सामने आवागमन की समस्या खड़ी हो गयी है. लोग परेशान हैं और स्थानीय प्रशासन इस समस्या से लापरवाह बना हुआ है.

इलाके में घुसा बाढ़ का पानी

जिला मुख्यालय से टूटा सड़क संपर्क
मनिहारी प्रखण्ड के हसवर इलाके की कटिहार-अमदाबाद मुख्य मार्ग पर महानंदा नदी में आयी बाढ़ ने इलाके में बड़ी तबाही मचायी है. किसानों के खेतों में पानी घुस आया है. जिससे खरीफ फसल बर्बाद हो गयी है. धान, मक्का, बाजरा के फसलों की व्यापक क्षति हुई है. खेतों में तीन से चार फीट पानी बह रहा है और किसानों के खेत नदी में तब्दील हो गये है.

पानी में फंसी ट्रक

'जान हथेली पर रखकर पार कर रहे पुल'
बाढ़ का सितम इस कदर है कि लोगों के आवागमन के लिये बना हुलकाहा पुल पर तीन से चार फीट पानी बह रहा है. स्थानीय इब्राहिम बताते हैं कि पुल पर पानी चढ़ जाने से लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है. लोग जान हथेली पर रखकर पैदल पुल पर चढ़े पानी को पार कर रहे हैं. गांव से काम-काज को लिए शहर जाने वाले लोगों को कन्धे पर साइकिल रखकर पुल पार करना पड़ रहा है.

बाढ़ पीड़ित

वहीं, स्थानीय विजय कुमार सिंह बताते हैं कि कोई सरकारी इंतजाम नहीं हैं और ना ही स्थानीय प्रशासन द्वारा सरकारी नावें मुहैय्या करवायी गयी हैं. लोग परेशान हैं और जिम्मेदार लोग लापरवाह बने हुए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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स्थानीय प्रशासन समस्या से बेखबर
वहीं, सुशासन बाबू का दावा है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में सरकार हर मुमकिन मदद कर रही है. लोगों के आवागमन की समस्या को देखते हुए प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी नावें भी उपलब्ध करायी जायेगी. लेकिन पुल पर बहते बाढ़ का पानी और उसमें जद्दोजहद कर रहे लोगों को देखकर कहा जा सकता है कि सरकार का यह दावा खोखला है. हर साल सैलाब से परेशान होते लोगों की यह नियति है.

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