उपेंद्र कुशवाहा के बयान से जदयू में मचा घमासान कटिहार:बिहार की राजनीति में इन दिनों उपेंद्र कुशवाहा के बयान से घमासान मचा हुआ है. वो सीएम नीातीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर लगातार बयान दे रहे हैं. जिससे पार्टी में उनके खिलाफ कई नेता खड़े हो गए हैं. जनता दल यूनाइटेड ना तो उनको निकाल पा रही है. और ना उनके ऊपर कोई कार्रवाई कर पा रही है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा इस सबके बीच ये कहते फिर रहे हैं कि मैं पार्टी को मजबूत करने मे लगा हूं.
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उपेंद्र कुशवाहा के बयान से जदयू में मचा घमासान :गौरतलब है कि जदयू में इन दिनों घमासान मचा हुआ है. पार्टी के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा अपने बयानों के कारण सुर्खियों में हैं. इस बीच जदयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा गुरुवार यानी 9 फरवरी को कटिहार पहुंचे. जहां आचार संहिता मामले में कटिहार व्यवहार न्यायालय के एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए. इस मौके पर जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वो पार्टी को बचाने की मुहिम में जुटे हैं. इस दौरान एमपी-एमएलए कोर्ट में उनके भारी संख्या में समर्थक जमा रहे.
"पार्टी को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं" :अदालत में पेशी के बाद बाहर निकल मीडिया से रूबरू होते हुए जदयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा ( JDU Leader Upendra Kushwaha) ने कहा कि उनकी पार्टी से नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है. वो पार्टी को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं और इसी कोशिश का अर्थ लोग अपने हिसाब से लगाते हैं, और जो लोग भी अर्थ अपने हिसाब से लगाते हैं, यह उनकी मर्जी है. मुझको लगता हैं कि इस पार्टी को बचाना है.
"मैं अपनी ड्यूटी के हिसाब से अपने काम का निर्वहन कर रहा हूं. पार्टी को बचाने में लगे हैं. पार्टी में आज जो संशय की स्थिति हैं, उससे उबारने के लिये पार्टी की बैठक बुलायी गयी है. उनके द्वारा बुलायी गयी बैठक में सभी से विचार मांगा गया हैं कि कैसे पार्टी को बचाने की दिशा में काम करें."- उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड
जदयू में उपेंद्र कुशवाहा को लेकर ऊहापोह की स्थिति :गौरतलब है किजदयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल बिहार की सियासत में उथल-पुथल मचाए हुए हैं. कुशवाहा को लेकर सीएम नीतीश कुमार असमंजस की स्थिति में हैं. उनकी बयानबाजी ने जदयू नेताओं को मुश्किल में डाल रखा है. उपेंद्र कुशवाहा जदयू छोड़ने को तैयार भी नहीं हैं. वहीं राजनीतिक गलियारे में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि वो अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा को मजबूत करने में जुटे हैं.