कटिहार:जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित महादलित गांव में तीन दिव्यांग बच्चे पेंशन और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. इनके पास हर वो जरूरी कागजात हैं, जो इन्हें इनका हक दिलाने के लिए जरूरी है. बावजूद इसके, सरकारी उदासीनता के कारण ये तीनों बच्चे बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
मामला कटिहार जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर स्थित मरोचा के मुजवर टाल टोला का है. गांव के महादलित टोला में एक ही परिवार में तीन दिव्यांग बच्चे सरकारी उदासीनता के शिकार हैं. जन्म से दिव्यांग बच्चों के मां-बाप मेहनत मजदूरी कर तीनों का भरण-पोषण कर रहे हैं. वहीं, इन्हें कई सालों से पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस परिवार का चूल्हा तभी जलता हैं, जब मां-बाप मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं.
'तीन सालों से नहीं मिली पेंशन'
दिव्यांग बच्चों की मां ने ईटीवी भारत से अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि यहां पैसा नहीं मिल रहा है. सिर्फ कागज बनता है. हमने भाग-दौड़कर किसी तरह दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया, खाता खुलवाया और सभी जरूरी कागज बनवाए. बावजूद इसके हमारे बच्चों के खाते में पेंशन नहीं आ रही है. बच्चे जन्म से ही दिव्यांग हैं. इलाज में बहुत पैसे खर्च किए. लेकिन कब तक इलाज कराएं. बच्चों का इलाज कराएं कि पेट पाले.
नहीं दिया नजराना, तो नहीं मिली ट्राई साइकिल
मां ने बताया कि अंतिम बार 2016 में 300 रुपये मासिक पेंशन मिली थी. गांव के नेता जी को नजराना नहीं देने के कारण ट्राई साइकिल नसीब नहीं हुई. दिव्यांग ठीक से खड़े भी नहीं हो पाते हैं. किसी तरह हाथ पैर के सहारे चल पाते हैं. जबकि तीसरा दिव्यांग मानसिक रूप से बीमार है.
पेंशन से वंचित दिव्यांग बच्चे ऑनलाइन सुविधा के कारण हुए वंचित
वहीं, सामाजिक सुरक्षा कोषांग पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया इन परिवारों को 2016 तक पेंशन मिली थी. लेकिन ऑनलाइन सुविधा के कारण ऑनलाइन फॉर्म नहीं भर पाए. जिसके कारण नाम छूट गया है. पीड़ित परिवार के आवेदन देने पर जल्द ही इन बच्चों का नाम जोड़ दिया जाएगा. इसका निराकरण करते हुए इनके खाते में सीधे पेंशन के पैसे भेजे जाएंगे. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 39 हजार 420 दिव्यांग हैं. जिसमें 29 हजार दिव्यांगों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है.