कटिहार:बिहार सरकार दिव्यांगों को सशक्त बनाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की लिए अनेकों योजनाएं चला रही है. लेकिन ये सभी योजनाएं जमीनी स्तर पर नहीं पहुंच पा रही हैं. यही कारण है कि आज भी सैकड़ों दिव्यांग सरकारी लाभ उठाने के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटते रहते हैं. ऐसा ही एक मामला कटिहार जिले के प्राणपुर प्रखंड अंतर्गत मरोचा गांव से सामने आया है.
मरोचा गांव के पकडियाडीह में एक ही परिवार के तीन बच्चे पूरी तरह दिव्यांग हैं. लेकिन, सरकार की तरफ से चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ इन तीनों बच्चों को पिछले 3 साल से नहीं मिल सका है.
नहीं मिला ट्राई साइकिल का लाभ नहीं मिल रही सरकारी मदद
बताया जा रहा है कि 2017 तक इन दिव्यांग बच्चों को दिव्यांगता पेंशन दी जाती थी, लेकिन सरकारी लापरवाही की वजह से यह फिर से बंद कर दी गई है. आज ये बच्चे भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. मजदूरी कर अपने घर-परिवार को चलाने वाले इन बच्चों की मां कई बार सरकारी कार्यालय के चक्कर भी काट चुकी हैं, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली.
एक तरफ जब पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है ऐसे में इस परिवार को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. हालांकि सरकार ने गरीबों को 5 किलो मुफ्त अनाज और जनधन खाते में रुपए भेजे हैं, लेकिन बगैर सरकारी मदद के ये दिव्यांग बच्चे लॉकडाउन में जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं.
परिवार के तीनों बच्चे हैं दिव्यांग नहीं मिला ट्राई साइकिल का लाभ
सरकार की तरफ से ऐसे दिव्यांगों के लिए ट्राई साइकिल की व्यवस्था की गई है, लेकिन इन बच्चों को ये भी नसीब नहीं हो सका. ट्राई साइकिल के लिए बच्चों की मां कई बार अपने स्तर से स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन से भी मिल चुकी हैं, लेकिन पैसों की डिमांड की वजह से इस योजना का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल सका है. दिव्यांग बच्चों की मां ताला मुर्मू बताती हैं कि बच्चों के लिए कई बार सरकारी अधिकारी से मिल चुकी हैं, लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी है.
2017 तक इन दिव्यांग बच्चों को मिलता था दिव्यांगता पेंशन नहीं पूरी हुई है ऑनलाइन प्रक्रिया
वहीं, पूरे मामले में सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक राजीव रंजन ने जानकारी देते हुए बताया कि बिहार सरकार ने सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है और इन दिव्यांग बच्चों की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. यही कारण है कि उनकी पेंशन योजना बंद हो गई है. जैसे ही इन बच्चों की ऑनलाइन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, वैसे ही इन्हें सरकारी मदद मिलनी शुरू हो जाएगी और फिर कई सालों से इन बच्चों के बंद पड़े पेंशन भी सीधे बैंक खाते में भेजे जाएंगे.
अभी भी है सरकार से उम्मीद
सरकार लाख दावे कर ले कि दिव्यांगों को उन्हें मुख्यधारा में लाया जाएगा और उन्हें सशक्त बनाया जाएगा. लेकिन कटिहार के प्राणपुर प्रखंड का ये परिवार इन झूठे दावों के पोल खोल रही है. ये बच्चे सरकार योजनाओं से पूरी तरह से महरूम हैं. हालांकि इन्हें अभी भी उम्मीद है कि सरकार इनकी मदद जरूर करेगी. अब ऐसे में देखना होगा कि जिला प्रशासन ऐसे दिव्यांग बच्चों को कब तक सरकारी मदद पहुंचाता है.