कटिहार: बिहार के माध्यमिक स्कूलों को किताबों में जिस झील का बखान शान से किया गया है. वही आज अपने जीर्णोद्धार की राह ताक रहा है. जबकि यहां सर्दियों के मौसम में कई प्रजाति के प्रवासी पक्षी महीनों तक अपना डेरा डालते हैं.
ग्रामीणों के भू-दान के बावजूद सरकार नहीं बना सकी इसे बेहतर पर्यटन स्थली
बिहार के पर्यटन स्थल में कटिहार के मनिहारी अनुमंडल स्थित गोगाबिल झील का जिक्र किताबों में किया गया है. यहां सर्दियों के मौसम में कई प्रजाति के विदेशी पक्षी दाना चरने पहुंचते हैं. और उन पक्षियों को देखने और झील का लुफ्त उठाने हजारों सैलानी पहुंचते हैं. 217 एकड़ में फैले गोगाबिल पक्षी अभ्यारण को कई सरकार के द्वारा इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का दावा किया गया. हालांकि वन विभाग के द्वारा 73 एकड़ भूमि को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक गोगाबिल झील संरक्षण आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया. बाद में स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा 143 डिसमिल जमीन कम्युनिटी रिजर्व बनाने के उद्देश्य से दान दे दिया बावजूद सरकारी उपेक्षा के कारण गोगाबिल झील का विकास अब तक नहीं हो सका है.
जीर्णोद्धार की राह ताक रहा गोगाबिल झील तार किशोर के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उम्मीद की लौ फिर जगी
सरकार और प्रशासनिक स्तर से कोई पहल नहीं देख गोगाबिल झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. उसके लिए ग्रामीणों ने इसकी बीड़ा खुद उठाई और गोगाबिल झील विकास समिति का गठन किया. उसके बाद विकास समिति के लोग प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कई अहम बैठक की और इसके विकास पर चर्चा किए. लेकिन इस और अब तक कोई पहल नहीं की गई है. लेकिन अब जीत का चौका लगाने वाले कटिहार सदर विधायक तार किशोर प्रसाद बिहार के डिप्टी सीएम बन गए हैं. तो ग्रामीणों को उम्मीद जगी है कि माननीय उपमुख्यमंत्री जब उनके जिले का है तो इस बार जरूर गोगाबिल झील का जीर्णोद्धार होगा.
25 साल से बदलाव की बयार नहीं बही
स्थानीय लोग बताते हैं कई बार गोगाबिल झील के समग्र विकास को लेकर सरकार व प्रशासन को प्रस्ताव दिया पर अब तक अमल में नहीं हुआ. फल स्वरुप आज भी बिहार और देश के पक्षी विहार के रूप में प्रसिद्ध गोगाबिल झील उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. अगर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया जाए. तो इस क्षेत्र के हजारों लोगों को रोजगार का अवसर मिल सकेगा. और कई परिवार का जिविको पार्जन हो सकेगा. स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले 25 वर्षों से यहां पर कोई बदलाव नहीं दिखा है. जब कोई सैलानी यहां घूमने आते हैं तो उनके ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि पानी पीने के लिए एक चापाकल भी नहीं है.
गोगाबिल झील के उन्नयन और पर्यटन के मानचित्र पर इसकी गिनती हो इसको लेकर प्रयास शुरू हो चुका है. झील के विकास को लेकर विभाग की टीम जल्द ही वहां जाएगी. जो भी विभाग से संभव होगा वह किया जाएगा. आने वाले दिनों में गोगाबिल झील क्षेत्र का पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाएगा- तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री, बिहार