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Published : Jan 26, 2021, 10:41 AM IST

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स्वतंत्रता सेनानी का परिवार रिक्शा चलाकर कर रहा परिवार का गुजारा

स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत अनूप लाल पासवान का परिवार सम्मान के साथ जीने के लिए संघर्ष कर रहा है. अनूप लाल पासवान ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था. उस दौरान अनूप लाल 5 साल से अधिक समय के लिए जेल भी गए थे.

रिक्शा चलाते हुए स्वतंत्रता सेनानी का परिवार
रिक्शा चलाते हुए स्वतंत्रता सेनानी का परिवार

कटिहार:देश के स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने वाले कटिहार जिला के स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत अनूप लाल पासवान की दूसरी पीढ़ी आज दाने-दाने को मोहताज है. मनिहारी अनुमंडल वार्ड नंबर-15 सिमबुडी गांव के रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी अनुप लाल पासवान की दूसरी पीढ़ी में उनके तीन बेटे हैं. तीन बेटों में बड़ा बेटा इंद्रजीत गोताखोर का काम करता है, कुमारजीत मजदूरी और तीसरा बेटा अमर सिंह पासवान रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पालता है.

देखें रिपोर्ट.

5 सालों तक काटी सजा
बड़े बेटे इंद्रजीत बताते हैं कि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में पिता ने भाग लिया था. उस दौरान पिता मनिहारी स्टेशन की रेल पटरी उखाड़ने, मनिहारी थाना, पोस्ट ऑफिस के दस्तावेज जलाने और अंग्रेजों की रसद लूटकर नदी में बहा देने के आरोप था. जिसमें उन्हें 5 साल से अधिक समय तक जेल की सजा काटनी पड़ी थी.

रिक्शा चलाते हुए स्वतंत्रता सेनानी का परिवार.

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सम्मान के साथ जीने के लिए संघर्ष
इसके दस्तावेज आज भी बड़े बेटे इंद्रजीत के पास मौजूद हैं. इसे लेकर उनके पिता को भारत सरकार ने ताम्रपत्र से भी सम्मानित कर चुके है. लेकिन उनके जीवित काल में पेंशन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है. अब पिताजी के स्वर्गवास के बाद स्वतंत्रता सेनानी का यह परिवार सम्मान के साथ जीने के लिए संघर्ष कर रहा है.

ताम्रपत्र किया गया था भेंट.
प्रशासन को स्वतंत्रता सेनानी के इस परिवार की बदहाली के बारे में जानकारी ही नहीं थी. अब जानकारी मिली है तो निश्चित तौर पर सरकारी स्तर पर जो भी सहयोग होगा मुहैया करवाया जाएगा.-आशुतोष द्विवेदी, मनिहारी अनुमंडल पदाधिकारी
स्वतंत्रता सेनानी के तीनों बेटे.

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