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अतिक्रमण हटाओ अभियान में सैकड़ों बाढ़ पीड़ित हुए बेघर, ठंड में ढूंढ़ रहे आशियाना

कई सालों से सैकड़ों बाढ़ पीड़ित जीआरपी चौक के पास सड़क किनारे बसे हुए थे. ये लोग बांस के बनाए हुए सामान बेचकर किसी तरह अपना जीवन गुजार रहे थे. लेकिन जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद ये सैकड़ों परिवार अब बेघर हो गए.

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अतिक्रमण हटाओ अभियानः

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Published : Feb 13, 2020, 10:27 AM IST

कटिहारः जिले में सड़क किनारे बसे कई बाढ़ पीड़ित परिवारों को अतिक्रमण के नाम पर बेघर कर दिया गया. रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन के जरिए चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान के बाद बेघर हुए सैकड़ों लोग उचित जगह की मांग कर रहे हैं.

बेघर हुए लोग

हर साल होते हैं लाखों लोग प्रभावित
दरअसल चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण कटिहार में आने वाले हर साल बाढ़ की वजह से लाखों लोग प्रभावित होते हैं. हजारों लोग विस्थापित हो जाते हैं और जहां जगह मिलती है, वहां जाकर अपना डेरा डंडा डाल देते हैं. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से वैसे लोगों के लिए कोई उचित जगह मुहैया नहीं कराई जाती और ये सड़क किनारे बस जाते हैं.

कार्रवाई करती पुलिस

प्रशासन से उचित जगह मुहैया कराने की मांग
सड़क किनारे जीआरपी चौक के पास बसे इन्हीं हजारों विस्थापित परिवारों पर जिला प्रशासन की ओर से अतिक्रमण अभियान चलाया गया. इसमें सैकड़ों लोगों को उनकी जगह से हटा दिया गया. बाद में इन लोगों ने सड़क जाम कर दिया और प्रशासन से उचित जगह मुहैया कराने की मांग करने लगे.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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'हमारा घर जमीन सब बाढ़ में बह गया'
विस्थापित महिला कंचन बताती हैं- अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत यहां बसे हजारों लोगों को हटाया जा रहा है. आखिर हम जाए तो कहां जाएं. हमारा घर जमीन सब बाढ़ में बह गया. जिस वजह से रेलवे या तो रोड के किनारे रहने को मजबूर हैं. वहीं, सुरेश पांडे बताते हैं पिछले 6 साल से यहां पर रह रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से हम लोगों को आजतक कोई उचित जगह नहीं दी गई, अगर प्रशासन हम विस्थापितों को जगह मुहैया कराता तो इधर-उधर रहने को विवश नहीं होते.

सड़क जाम करते बाढ़ पीड़ित

जिला और रेलवे प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई
बता दें कि पिछले पांच-छह साल से हजारों बाढ़ पीड़ित जीआरपी चौक के पास सड़क किनारे बसे हुए थे. ये लोग बांस के बनाए हुए सामान बेचकर अपना जीवन गुजार रहे थे. लेकिन आज जिला प्रशासन और रेलवे प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई के बाद हजारों परिवार बेघर हो गए. जिला प्रशासन की ओर से उन्हें यहां से हटा दिया गया है और लोग इधर-उधर भटक रहे हैं.

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