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कटिहार: गंगा-कोसी के बढ़ते जलस्तर से गांव में घुसा पानी, अब नाव ही है एकमात्र सहारा

पिछले 10 दिनों से गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. इससे जिले में फिर से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. जलस्तर बढ़ने से नदियों का पानी गांव में घुसने लगा है.

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Published : Sep 26, 2019, 8:19 AM IST

flood in katihar

कटिहार: गंगा और कोसी नदी के जलस्तर बढ़ने से जिले के कई गांवों में नदी का पानी घुस गया है. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लोगों को गांव से जिला मुख्यालय जाने-आने में काफी परेशानी होती है. सड़कें पूरी तरह से डूब चुकी हैं जिसके चलते लोग नाव से आवाजाही करते हैं.

नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी से बाढ़ के हालात
बता दें कि जिले में पिछले 10 दिनों से गंगा और कोसी नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. इससे जिले में फिर से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. जलस्तर बढ़ने से नदियों का पानी गांव में घुसने लगा है. लोग गांव छोड़कर ऊंचे स्थानों या तटबंधों पर शरण ले रहे हैं. जिले के बरारी प्रखंड की पांच पंचायतें बाढ़ से पूरी तरह ग्रस्त हैं. सड़क संपर्क टूटने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

अपनी समस्या बताते बाढ़ पीड़ित

बाढ़ से हो रही काफी परेशानी
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि गांव में 5 फीट के लगभग पानी भर गया है. लोगों का जीना दुभर हो गया है. लोग जैसे-तैसे घर छोड़कर ऊंचे स्थान पर जा कर शरण लिये हुए हैं. घर में खाने के लिए अनाज नहीं है लिहाजा चुड़ा-शक्कर खाकर किसी तरह से पेट भर रहे हैं. हमें प्रशासन की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. कई दिन बीत जाने के बाद प्रशासन ने लोगों के आने-जाने के लिए नाव की व्यवस्था की है.

बाढ़ पीड़ित

फिर से डराने लगी हैं नदियां
चारों ओर से नदियों से घिरे कटिहार में जुलाई-अगस्त के महीने में महानंदा नदी उफान पर थी. इससे जिले के 6 प्रखंड के लगभग 6 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे. उस दौरान जान-माल का भी भारी नुकसान हुआ था. जगह-जगह सड़क और पुल ध्वस्त हो गए थे.

गांव में घुसा नदी का पानी

दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में
वहीं, सितंबर महीने में गंगा और कोसी नदी उफान पर है. 2 महीने के अंदर दूसरी बार बाढ़ आने से लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. गंगा के जलस्तर बढ़ने से चार प्रखंड की दर्जनों पंचायतें प्रभावित हैं. लोग गांव छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण ले रहे हैं. लोगों के आवागमन के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है.

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