कटिहार: एनसीपी के दो दशक का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले तारिक अनवर ने काफी जद्दोजहद के बाद टिकट तो पा लिया, लेकिन चुनाव जीतना उनके लिए पिछली बार से भी कहीं ज्यादा मुश्किल साबित होगा. वजह भी है 2014 में जेडीयू और बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़े थे, मगर इस बार एनडीए एकजुट है. सीट शेयरिंग के तहत यहां से जेडीयू ने पूर्व मंत्री दुलाल चंद गोस्वामी को मैदान में उतारा है. हालांकि पिछली बार के कुल मतों की बात करें तो अभी भी पलड़ा तारिक अनवर का ही भारी है.
तारिक अनवर को मिले थे 4 लाख वोट
16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए चुनाव में तारिक अनवर को कुल 4,31,292 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के निखिल कुमार चौधरी को 3,16,552 वोट मिले थे. जबकि जेडीयू के राम प्रकाश महतो को 1,00,765 वोट मिले थे.
इस सीट का समीकरण
कटिहार संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 12,72,769 है. इनमें से 6,75,944 पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 5,96,825 हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. माना जाता है कि इनका समर्थन तारिक अनवर को मिलता रहा है.
विधानसभा सीटों का समीकरण
कटिहार संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं, जिनमें कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी शामिल है. 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में इन 5 सीटों में से 2 बीजेपी, 2 कांग्रेस, एक आरजेडी और एक सीट सीपीआई माले ने जीती थी.
कटिहार का 'किंग' कौन?
संसद में तो तारिक अनवर की मौजूदगी बेहतरीन रही है, चर्चाओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं. मगर अपने इलाके की समस्या का समाधान करने और विकास कार्य में उतने सफल साबित होते नहीं दिख रहे हैं. हालांकि चुनाव जीतने के लिए कामकाज के साथ-साथ बेहतर चुनावी रणनीति भी अहम होती है. ऐसे में देखना अहम होगा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को पटखनी मिली देने वाले तारिक अनवर इस बार जेडीयू के दुलालचंद्र गोस्वामी को शिकस्त दे पाएंगे या उनसे परास्त हो जाएंगे?